पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पनामा पेपर्स लीक मामले में पूर्व पीएम नवाज शरीफ को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने अदालत से कहा कि उन्होंने एक 'साझा मित्र' (कॉमन फ्रेंड) की पहचान की है, जिसने उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पनामा पेपर्स केस वापस लेने के लिए शाहबाज शरीफ की ओर से कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने वर्ष 2017 में आरोप लगाया था कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शाहबाज ने पूर्व पीएम नवाज शरीफ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पनामा पेपर्स मामले को वापस लेने के लिए एक कॉमन फ्रेंड के माध्यम से उन्हें 1,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
इमरान ने उस वक्त शाहबाज की ओर से रिश्वत की पेशकश करने वाले व्यक्ति की पहचान का खुलासा नहीं किया था।
69 वर्षीय शाहबाज नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। इमरान खान के आरोप के बाद शाहबाज ने क्रिकेटर से नेता बने खान के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। प्रधानमंत्री इमरान खान ने मानहानि के इस मामले में जवाब दाखिल किया है।
इस लिखित जवाब में प्रधानमंत्री खान ने उमर फारूक के रूप में नवाज शरीफ के खिलाफ पनामा पेपर्स मामले को वापस लेने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की पेशकश करने वाले व्यक्ति के नाम का खुलासा किया। प्रधानमंत्री के वकील ने अदालत को बताया कि एक साझा मित्र उमर फारूक ने इमरान खान को यह पेशकश की थी।
50 सुनवाई पर स्थगन की मांग अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम फरीद ने सुनवाई 4 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। चार वर्षों में इमरान खान की कानूनी टीम ने कम से कम 50 सुनवाई पर स्थगन की मांग की। शाहबाज ने अपनी याचिका में अदालत से अपमानजनक टिप्पणी के मुआवजे के रूप में 1,000 करोड़ रुपये की वसूली के लिए एक 'डिक्री' जारी करने का अनुरोध किया था।
इस बीच बुधवार को एक बयान में,पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने विपक्षी नेता के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए प्रधानमंत्री खान से माफी मांगने की मांग की। मरियम ने इमरान खान द्वारा बोले गए इस झूठ को 'पैथोलॉजिकल झूठा' बताया। मरियम ने कहा कि इमरान अब नेशनल असेंबली के सदस्य और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद संभालने के लिए 'नैतिक रूप से योग्य' नहीं हैं।
बता दें कि पनामा पेपर्स मामले के मद्देनजर जुलाई, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को अयोग्य घोषित कर दिया था। बाद में उन्हें भ्रष्टाचार के दो मामलों – एवेनफील्ड संपत्तियों और अल-अजीजिया में दोषी ठहराया गया था और सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।