पाकिस्तान : कोरोना महामारी के दौरान तीन गुना बढ़े शराब के दाम, पानी मिलाकर बेच रहे कारोबारी

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में महामारी के दौरान शराब की कालाबाजारी तेजी से बढ़ गई है। शराब की कमी के चलते हालात ये हो गए हैं कि लोग दो से तीन गुना दाम चुका कर शराब खरीद रहे हैं।
पाकिस्तान : कोरोना महामारी के दौरान तीन गुना बढ़े शराब के दाम, पानी मिलाकर बेच रहे कारोबारी

पाकिस्तान : कोरोना महामारी के दौरान तीन गुना बढ़े शराब के दाम, पानी मिलाकर बेचा रहे कारोबारी – आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में महामारी के दौरान शराब की कालाबाजारी तेजी से बढ़ गई है।

शराब की कमी के चलते हालात ये हो गए हैं कि लोग दो से तीन गुना दाम चुका कर शराब खरीद रहे हैं।

कालाबाजारी करने वाले बड़े-बड़े ब्रांड की शराब में धड़ल्ले से पानी मिलाकर बेचा जा रहा है।

पाकिस्तान में मुस्लिमों के शराब पीने पर प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है,

जो इन प्रतिबंधों की अनदेखी कर शराब पीते हैं।

पाकिस्तान : कोरोना महामारी के दौरान तीन गुना बढ़े शराब के दाम, पानी मिलाकर बेचा रहे कारोबारी –

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में गैर-मुस्लिम ग्राहकों के लिए शराब की दुकानें वैध हैं।

कराची में ऐसी ही एक दुकान पर काम करने वाले हिंदू युवा राहुल ने बताया कि वे उन सभी को शराब देते हैं, जो उन्हें पैसे देते हैं।

हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, कई लोग शराब पीते हैं

उन्होंने कहा कि  हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, कई लोग शराब पीते हैं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पीने वाले का धर्म क्या है। हालांकि, राहुल यह भी मानते हैं कि सतर्क रहना काफी जरूरी है। राहुल हर महीने 50 हजार रुपये  तक की कमाई करते हैं, जोकि उनकी पिछली कमाई से काफी ज्यादा है। पहले वे कपड़ा फैक्ट्री में मजदूर थे।

तीन गुना महंगी शराब खरीदने पर भी मिला पानी 

इस्लामाबाद निवासी उमर ने बताया, " मैं  पहले कभी-कभी ही शराब पीता था, पर अब रोज पीता हूं। शराब की वजह से मुझे चिंताओं से निपटने में मदद मिलती है।"  38 वर्षीय पत्रकार हीरा ने बताया कि उन्होंने व्हिस्की की बोतल तीन गुना महंगी खरीदी, पर उसमें पानी मिला हुआ था। ऐसा कई लोगों के साथ हो चुका है।

भुट्टो ने लागू की थी शराबबंदी, जिया ने उसे धर्म से जोड़ा

पाकिस्तान में वर्ष 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार ने शराबबंदी के लिए कानून बनाया था। हालांकि, इसमें बार और क्लबों को कुछ छूट दी गई थी। बाद में 1979 में जनरल जिया-उल-हक ने शराब को गैर-इस्लामिक घोषित करते हुए इस कानून को और कठोर कर दिया था।

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