भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दिया स्पेशल स्टेटस वापस ले लिया था। आज इस फैसले को 2 साल पूरे हो गए। इसके जवाब में अब पाकिस्तान ने भी गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) को अलग प्रांत बनाने की कवायद शुरू कर दी है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाने के लिए कानून पर काम शुरू कर दिया है।
भारत ने साफ कर दिया है कि गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग है। पाकिस्तान अपने अतिक्रमण को जायज नहीं ठहरा सकता। भारत का दावा है कि गैरकानूनी और बलपूर्वक हथियाए हुए क्षेत्र पाकिस्तान सरकार या उसकी न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं।
पाकिस्तान की मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने कानून का ड्राफ्ट बनाया है, जिसे 26वां संविधान संशोधन विधेयक कहा जा रहा है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक प्रस्तावित कानून में गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) के सुप्रीम अपीलेट कोर्ट (SAC) को खत्म करने और क्षेत्र के चुनाव आयोग को पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन (ECP) में मर्ज करने का प्रावधान है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक यह ड्राफ्ट बिल तैयार है और इस समय प्रधानमंत्री इमरान खान के पास है। इस ड्राफ्ट बिल को पाकिस्तान के संविधान, अंतरराष्ट्रीय कानून और कश्मीर पर UN रेजोल्यूशंस, संवैधानिक कानूनों और स्थानीय कानून को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। गिलगिट-बाल्टिस्तान और PoK की सरकारों से भी प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल बनाने से पहले विचार-विमर्श किया गया है
गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में कश्मीर घाटी के उत्तर-पश्चिम में है। यह जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा था। तब यह रियासत पांच क्षेत्रों में बंटी थी- जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट वजाहत और गिलगिट एजेंसी। 1947 से भारत के जिस हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा है, उसमें सिर्फ 15% एरिया पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में है। 85% हिस्सा तो गिलगिट-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) या नॉर्दर्न एरियाज में है। यह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का मुख्य इलाका है। सिंधु नदी पाकिस्तान में गिलगिट-बाल्टिस्तान से ही होकर प्रवेश करती है।
1947 में। दरअसल, 1917 में USSR बनने के बाद ब्रिटिश इंडिया ने गिलगिट एजेंसी को 1935 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा से 60 साल की लीज पर लिया था। पर जब भारत आजाद हुआ तो 15 दिन बाद गिलगित भी महाराजा हरिसिंह के अधीन आ गया था। 26 अक्टूबर 1947 को हरि सिंह ने अपनी रियासत को भारत में मर्ज करने का फैसला किया, तब ब्रिटिश कमांडर विलियम एलेक्जेंडर ब्राउन के नेतृत्व में गिलगिट स्काउट्स ने बगावत कर दी। उसने बाल्टिस्तान पर भी कब्जा कर लिया था, जो लद्दाख का हिस्सा था। स्कार्दू, करगिल और द्रास पर भी गिलगिट स्काउट्स का कब्जा था। युद्ध में भारतीय सेनाओं ने अगस्त 1948 में करगिल और द्रास पर फिर से कब्जा हासिल किया। पर गिलगिट पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा कायम रहा।
1 नवंबर 1947 को राजनीतिक दल रिवॉल्युशनरी काउंसिल ऑफ गिलगिट-बाल्टिस्तान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को स्वतंत्र देश घोषित किया था। 15 नवंबर को उसने पाकिस्तान में मर्जर की घोषणा की। पर इस मर्जर की भी शर्त ये थी कि पूरी तरह एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल के लिए यह होगा। पिछले साल पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने 1 नवंबर को गिलगिट-बाल्टिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया।
नहीं..पाकिस्तान में 1974 में नागरिक संविधान लागू किया गया। इसमें चार प्रांत थे- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा। PoK और गिलगिट-बाल्टिस्तान को प्रांत नहीं बनाया गया। पाकिस्तान कश्मीर को लेकर दावे से जुड़े इंटरनेशनल केस को कमजोर नहीं करना चाहता था, इस वजह से उसने इसे अलग ही रखा।
1975 में PoK को भी अपना संविधान मिला। इसे सेल्फ-गवर्न्ड ऑटोनॉमस टेरिटरी बनाया गया। पर नॉर्दर्न एरिया, जिसमें गिलगिट-बाल्टिस्तान आते हैं, उसे संविधान में जगह नहीं मिली। पर इसका मतलब यह नहीं है कि इस्लामाबाद का शासन इस पर नहीं था। भले ही इन प्रांतों को ऑटोनॉमी दी गई हो, पर हकीकत तो यह है कि PoK और गिलगिट-बाल्टिस्तान में वही हुआ, जो इस्लामाबाद चाहता था।
PoK के लोगों को संविधान के तहत अपने अधिकार और आजादी मिली। पर शिया बहुसंख्यकों वाले नॉर्दर्न एरियाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्हें पाकिस्तानी समझा जाता है, पर वह सिर्फ नागरिकता और पासपोर्ट तक सीमित है। संवैधानिक अधिकार उन्हें नहीं हैं, जो चार प्रांतों और PoK के लोगों को हैं।
जहां तक UN का सवाल है, उसने पूरे कश्मीर में यथास्थिति कायम रखने का रेजोल्यूशन पारित किया है। साथ ही जनता की राय लेते हुए विवाद के समाधान की पैरवी की है। पर UK पार्लियामेंट ने 2017 में एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि गिलगिट-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान ने इस पर 1947 से गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर रखा है।
चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) ने इस क्षेत्र के डायनामिक्स को बदल दिया है। पाकिस्तान ने भारत-चीन युद्ध के एक साल बाद 1963 में गिलगिट-बाल्टिस्तान के एक हिस्से को उपहार में चीन को दे दिया था। यह करीब 5,000 से 8,000 वर्ग किमी क्षेत्र है।