पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती विशेष: प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर किया याद

भारत में हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है. अंत्योदय दिवस पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन देश में गरीबों के उत्थान में तमाम अंत्योदय योजनाएं चल रही हैं
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती विशेष: प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर किया याद
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आज यानी की 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है, जिन्हें भारतीय राजनीति के इतिहास के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक माना जाता है. पंडित दीनदयाल एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक थे। उनकी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनको याद किया।

प्रधानमंत्री का ट्वीट

पंडित दीनदयाल को स्मरण करते हुए प्रधामंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा
''एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन. उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया. उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे.''

1916 में हुआ था जन्म

पंडित दीनदयाल का जन्म 1916 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के फराह शहर में नगला चंद्रभान गाँव, जो अब अब दीनदयाल धाम के नाम से जाना जाता है जाता है में हुआ था. उपाध्याय के पिता, भगवती प्रसाद उपाध्याय, एक ज्योतिषी थे, जबकि उनकी माँ एक गृहिणी थीं. पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने काफी कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनके मामा ने किया था. उन्होंने राजस्थान के सीकर में हाई स्कूल में पढ़ाई पूरी की |

एक मेधावी छात्र माने जाने की वजह से , सीकर के महाराजा ने दीनदयाल को एक स्वर्ण पदक, पुस्तकों के लिए ₹250 और दस रुपये की मासिक छात्रवृत्ति प्रदान की. पिलानी मे अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. फिर उन्होंने अंग्रेजी में मास्टर कोर्स करने के लिए आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज में प्रवेश लिया लेकिन अपने पारिवारिक मुद्दों के कारण परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं हो सके \

आज ही के दिन मनाया जाता है देश भर में अंत्योदय दिवस

वही देश भर में हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस मनाया जाता है | अंत्योदय दिवस पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति के रूप में मनाया जाता है. आज भारत मे गरीबों के उत्थान में तमाम अंत्योदय योजनाएं चल रही है। मोदी सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ने ही अंत्योदय का नारा दिया था. अंत्योदय का शाब्दिक अर्थ है समाज के अंतिम छोर तक आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगो का उत्थान या विकास करना होता है |

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