Parshuram Jayanti : भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार में पूजे जाते हैं।
ऐसे में भगवान विष्णु के छठे अवतार के जन्मदिवस के रुप में वैशाख माह शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है।
दृक पंचांग के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था।
Parshuram Jayanti : इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया पड़ती है उस दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है।
इस साल परशुराम जयंती 14 मई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
तृतीया तिथि 14 मई दिन शुक्रवार को प्रात:काल 05 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी
और 15 मई दिन शनिवार को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।
परशुराम जयंती के दिन ही अक्षय तृतीया भी है। परशुराम जयंतीका पूजन मुहूर्त में करना विशेष फलदायी हाेती है। भगवान परशुराम जयंती पर व्रत और पूजन के महत्व के साथ मौन व्रत का भी विधान है।
इस विशेष दिन पर कुछ लोग माैन व्रत रखते हैं। लोगों का मानना है कि मौन रहने से आत्म मंथन और बौद्धिक ज्ञान की बढाेत्तरी होती है। इसके अलावा लोग रात्रि जागरण भी करते हैं।
परशुराम जी के पूजन से अधूरे काम पूरे हो जाते हैं। परशुराम जयंती पर लक्ष्मी जी सहित भगवान नारायण की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि परशुराम जी एक मात्र ऐसे अवतार हैं जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं।
वहीं कल्कि पुराण में उल्लेख किया गया है कि जब कलयुग में भगवान विष्णु 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे, उस समय परशुराम जी ही उनको अस्त्र-शस्त्र विद्या में पारंगत करेंगे।