इस ब्लड ग्रुप के लोगो को कोरोनावायरस से खतरा

दुनियाभर के देश कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे हैं। इस बीमारी से पूरी दुनिया में 66 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं और मरने वालों की संख्या साढ़े तीन लाख के आंकड़े को पार कर गई है।
इस ब्लड ग्रुप के लोगो को कोरोनावायरस से खतरा

न्यूज़- दुनियाभर के देश कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे हैं। इस बीमारी से पूरी दुनिया में 66 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं और मरने वालों की संख्या साढ़े तीन लाख के आंकड़े को पार कर गई है। बीमारी को लेकर कई तरह के शोध भी इस समय हो रहे हैं। हाल ही में एक शोध सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस कौन से ब्लड ग्रुप के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। ये शोध जर्मनी और नॉर्वे के वैज्ञानिकों ने किया है। हालांकि इसे अभी तक किसी जरनल में प्रकाशित नहीं किया गया है।

इस शोध में पता चला है कि ब्लड ग्रुप ए (Blood Group A) वाले लोग कोरोना वायरस से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। जबकि बाकी ब्लड ग्रुप को संक्रमित होने में थोड़ा अधिक वक्त लगता है। शोधकर्ताओं को मानव जीनोम में दो बिंदुओं का पता चला है, जो कि कोविड-19 के रोगियों में रेस्पिरेटरी फेलियर के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं। इन बिंदुओं में से एक जीन है, जो ब्लड ग्रुप को निर्धारित करता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बल्ड ग्रुप ए वाले अधिकतर लोगों को इस दौरान वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत की संभावना होती है।

हालांकि कील विश्वविद्यालय में मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर और इस शोध के प्रमुख लेखक आंद्रे फ्रांके ने कहा, यह स्पष्ट नहीं है, जिससे निर्धारित हो सके कि कैसे किसी विशेष ब्लड ग्रुप या फिर जेनेटिक्ली आधार पर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है। उन्होंने कहा, 'हम ये नहीं बता सकते कि ये खतरा ब्लड ग्रुप से जुड़ा है या फिर उन अनुवांशिक परिवर्तनों से जो ब्लड ग्रुप से जुड़े हैं। हमने ब्लड ग्रुप को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल किया और ब्लड ग्रु ए वालों के लिए 50 फीसदी अधिक जोखिम और ओ वालों के लिए 50 फीसदी कम जोखिम का अनुमान लगाया है।'

इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने इटली और स्पेन के अस्पतालों से 1610 मरीजों के सैंपल लिए थे। ये उन लोगों के सैंपल थे, जिन्हें या तो ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी या फिर वेंटिलेटर की। इनकी जांच की गई। फिर जो कुछ भी पता चला उसकी तुलना 2205 ब्लड सैंपल से की गई। ये उन लोगों के सैंपल थे, जिन्हें कोविड-19 नहीं था। बता दें इससे पहले ऐसे ही शोध चीन और अमेरिका में भी हुए थे। जिसमें पता चला था कि ब्लड ग्रुप ए वाले लोगों के संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है।

इससे पहले 2002 से 2003 के बीच सार्स वायरस के समय भी ऐसा ही कुछ पता चला था। लेकिन शोधकर्ताओं को अभी भी इस बात का पता नहीं चल पाया है कि वायरस और बल्ड ग्रुप ए का क्या लिंक है। कुछ विशेषज्ञ ये भी कहते हैं कि विभिन्न ब्लड ग्रुप्स में अलग-अलग एंटीबॉडी होते हैं, जिनमें कुछ बीमारियों से संरक्षण दे सकते हैं लेकिन दूसरे नहीं। लेकिन इस बारे में भी ज्यादा शोध नहीं हुए हैं।

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