Pew Research : भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह बरकरार, शिव हिंदुओं के सबसे अधिक पूजे जाने वाले भगवान

भारत में धार्मिक सौहार्द को लेकर रिसर्च सामने आई है, अमेरिका के मशहूर थिंक टैंक Pew Research Centre ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि भारत में आज भी धार्मिक सौहार्द का माहौल बना हुआ है
Pew Research : भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह बरकरार, शिव हिंदुओं के सबसे अधिक पूजे जाने वाले भगवान

भारत में धार्मिक सौहार्द को लेकर रिसर्च सामने आई है, अमेरिका के मशहूर थिंक टैंक Pew Research Centre ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि भारत में आज भी धार्मिक सौहार्द का माहौल बना हुआ है। Pew ने नवंबर 2019 से मार्च 2020 के दौरान भारत के 30 हजार लोगोंं से बात की। 29 जून 2021 को इस सर्वे के आंकड़े जारी किए गए।

अपनी विविधता के लिए मशहूर भारत में हर धर्म के पालन की स्‍वतंत्रता है। दुनिया के सबसे ज्‍यादा हिंदू, सिख और जैन भारत में रहते हैं। मुस्लिमों की अच्‍छी-खासी आबादी के अलावा करोड़ों ईसाई और बौद्ध भारत में शांति से रहते हैं। धर्म को लेकर भारतीयों की सोच क्‍या है? दूसरे धर्मों को वे किस तरह देखते हैं? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब प्‍यू रिसर्च सेंटर की ताजा रिपोर्ट में मिलते हैं। कोविड-19 महामारी से पहले 30 हजार भारतीयों पर हुए सर्वे में लगभग सभी राज्‍यों के लोगों ने हिस्‍सा लिया।

भारत में सभी धर्मों के ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि यहां धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह बरकरार 

धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर क्या कहा गया है? इस रिसर्च के नतीजे कहते हैं कि भारत में सभी धर्मों के ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि यहां धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह बरकरार है। भारत के हिंदुओं के बीच शिव सबसे लोकप्रिय देवता हैं। करीब 45% हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव हैं। इसके बाद लोग हनुमान, गणेश, लक्ष्मी, कृष्ण, मां काली और भगवान राम को अपना इष्ट मानते हैं। हैरानी की बात है कि भगवान राम की तुलना में उनके सेवक हनुमान में आस्था रखने वाले दोगुना हैं। 17% लोगों के इष्ट भगवान राम, जबकि 32% के इष्ट हनुमान हैं। इष्ट देव ऐसे भगवान होते हैं, जिनसे व्यक्ति सबसे ज्यादा व्यक्तिगत लगाव महसूस करता है। अमेरिकी एजेंसी Pew रिसर्च सेंटर के एक सर्वे में ये बातें सामने आई हैं।

56 प्रतिशत मुस्लिम ये मानते हैं कि तीन तलाक गलत है

Pew Research Centre की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत के 85 प्रतिशत मुस्लिम मानते हैं कि हमारे देश की संस्कृति दूसरे देशों की संस्कृति से बेहतर है, जबकि 7 प्रतिशत ऐसा नहीं मानते हैं और बाकी लोगों की इस पर कोई राय नहीं है. इसी रिसर्च में कुछ और दिलचस्प आंकड़े भी दिए गए हैं।

जैसे 56 प्रतिशत मुस्लिम ये मानते हैं कि तीन तलाक गलत है. आपको याद होगा जब 2019 में केन्द्र सरकार ने तीन तलाक को लेकर कानून बनाया था, उस समय इस तरह की तस्वीर पेश करने की कोशिश हुई कि मुस्लिम समुदाय इस कानून के खिलाफ है, जबकि ये रिसर्च कहती है कि आधे से ज्यादा मुस्लिम इसके विरोध में हैं. वो तीन तलाक नहीं चाहते।

इस रिसर्च में एक और बात ये बताई गई है कि भले भारत में अधिकतर लोग सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन इनमें से काफी लोग अपने धर्म के लोगों के बीच ही रहना चाहते हैं, इस रिसर्च के नतीजों में बताया गया है कि 36 प्रतिशत हिन्दू नहीं चाहते कि उनका पड़ोसी मुस्लिम समुदाय से हो और 31 प्रतिशत हिन्दू नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी ईसाई धर्म से हों. इसी तरह 16 प्रतिशत मुसलमान नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी हिन्दू हों और 25 प्रतिशत मुसलमान नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी ईसाई हों।

85 साल बाद भी ज्यादातर भारतीय दूसरी जाति और दूसरे धर्म में शादी के खिलाफ

इस रिसर्च में Interreligious Marriage यानी अंतरधार्मिक विवाह को लेकर भी भारत के लोग की राय रखी गई है. इसके मुताबिक, 66 प्रतिशत हिन्दू दूसरे धर्म में शादी करने के खिलाफ हैं. इसके अलावा 78 प्रतिशत मुस्लिम, 36 प्रतिशत ईसाई, 47.5 प्रतिशत सिख, 45 प्रतिशत बौद्ध और 62.5 प्रतिशत जैन भी दूसरे धर्म में शादी करने के खिलाफ हैं।

भीमराव अंबेडकर ने लिखा था, 'जाति प्रथा खत्म करने का सही इलाज अंतरजातीय शादियां हैं।' लेकिन 85 साल बाद भी ज्यादातर भारतीय दूसरी जाति और दूसरे धर्म में शादी के खिलाफ हैं। 80% मुस्लिमों का मानना है कि महिलाओं को किसी दूसरे धर्म में शादी से रोकना जरूरी है।

Pew ने ये सर्वे ऐसे वक्त में करवाया था जब देश में एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे

Pew ने ये सर्वे ऐसे वक्त में करवाया था जब देश में एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। इसके बावजूद 89% हिंदुओं का मानना है कि उन्हें अपने धर्म का पालन करने की आजादी है। वहीं पांच में से सिर्फ एक मुस्लिम या हिंदू ने अपने साथ धार्मिक भेदभाव की शिकायत की है। अधिकांश भारतीयों को दूसरे धर्म से कोई समस्या नहीं है, लेकिन वो अपना पड़ोसी अपने ही धर्म का चाहते हैं। इसमें 61% के साथ जैनी सबसे आगे हैं। 45% हिंदू भी नहीं चाहते कि उनका पड़ोसी किसी दूसरे धर्म का हो।

आजादी के बाद भारत पाकिस्तान के बंटवारे ने सबसे बड़ा पलायन देखा

आजादी के बाद भारत पाकिस्तान के बंटवारे ने सबसे बड़ा पलायन देखा। 75 साल बाद भी हजारों परिवारों को इसकी टीस है। 48% मुस्लिम साम्प्रदायिक रिश्तों के लिए बंटवारे को खराब मानते हैं। ज्यादातर भारतीय एससी-एसटी और ओबीसी कैटेगरी से ताल्लुक रखते हैं। सर्वे ने इस धारणा को भी तोड़ा है कि वर्ग विभाजन सिर्फ हिंदुओं में ज्यादा है। 89% बौद्ध अनुसूचित जाति के हैं। आम धारणा है कि मुस्लिमों का पुनर्जन्म पर भरोसा नहीं होता। सर्वे की स्टडी के मुताबिक 27% मुस्लिम पुनर्जन्म को मानते हैं। वहीं 77% हिंदू कर्म और 73% भाग्य पर भरोसा करते हैं।

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