गलवान में चीनी सैनिकों के स्मारक पर ली गई तस्वीर, ट्रैवल ब्लॉगर को 7 महीने की जेल

गलवान में शहीद हुए चीनी सैनिकों के स्मारक पर पोज देने के लिए एक ट्रैवल ब्लॉगर को सात महीने की सजा सुनाई गई है। इस ब्लॉगर पर चीनी सैनिकों का अपमान करने का आरोप लगा है।
गलवान में चीनी सैनिकों के स्मारक पर ली गई तस्वीर, ट्रैवल ब्लॉगर को 7 महीने की जेल

नई दिल्ली: गलवान में शहीद हुए चीनी सैनिकों के स्मारक पर पोज देने के लिए एक ट्रैवल ब्लॉगर को सात महीने की सजा सुनाई गई है। इस ब्लॉगर पर चीनी सैनिकों का अपमान करने का आरोप लगा है।
बता दें, गलवान घाटी में भारत और चीन के जवानों के बीच झड़प हुई थी। चीन ने गलवान में शहीद जवानों की याद में स्मारक बनाया है।

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक ट्रैवल ब्लॉगर ने चीन के शहीदों के लिए बने मकबरे की फोटो खींची थी। जानकारी के मुताबिक उत्तर पश्चिमी चीन के शिनजियांग उइघुर क्षेत्र के पिशान काउंटी की स्थानीय अदालत ने यह सजा सुनाई है। यह भी आदेश दिया गया है कि यात्रा ब्लॉगर को 10 दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

कब्र की ओर इशारा करती पिस्तौल

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस चीनी ब्लॉगर का नाम ली किक्सियन है। वह सोशल मीडिया पर जियाओक्सियन जैसन के नाम से सक्रिय हैं। वह 15 जुलाई को इस समाधि में गए थे। यह मकबरा काराकोरम हिल्स क्षेत्र में स्थित है। आरोप है कि जिस पत्थर पर मकबरे का नाम लिखा है, उस पर वह चढ़ गया था। इसके अलावा आरोप है कि वह शहीद जवानों की समाधि के पास खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे, साथ ही हाथ से पिस्टल बनाकर समाधि की ओर इशारा कर रहे थे।

सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आने के बाद ली किजियान का विरोध शुरू हो गया। फिर 22 जुलाई को इसकी जांच के आदेश दिए गए। अब उन्हें दोषी ठहराया गया है और सात महीने की सजा सुनाई गई है।

गलवान में शहीद हुए भारत के 20 जवान

बता दें, साल 2020 की बात है. लद्दाख के गलवान इलाके में भारत और चीनी सेना के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई थी। स्थिति में सुधार के लिए बैठक चल रही थी। भारत की बात मानने के बाद भी चीन पीछे नहीं हटा। मामला धीरे-धीरे बिगड़ता गया और फिर दोनों सेनाओं के बीच झड़प हो गई। इसमें भारत के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हो गए थे।

चीन ने पहले कहा कि इस झड़प में उसे कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन बाद में उसने 4 सैनिकों की मौत पर हामी भर दी। हालांकि चीन को नुकसान और भी ज्यादा था। ऐसा माना जाता है कि नुकसान की जानकारी, सैनिकों का सम्मान, उन्हें अपने नागरिकों के दबाव में आना पड़ा। वरना इससे पहले वह इस जानकारी को छुपाना चाहता था। दूसरी ओर भारत ने हुए नुकसान की जानकारी दी और सैनिकों के शवों को पूरे सम्मान के साथ उनके परिवारों तक पहुँचाया गया।

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