PM Modi LokSabha Speech : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा LokSabha में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दे रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने राज्यसभा में जवाब दिया था।
इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानून, किसान आंदोलन और बजट सहित अन्य मामलों पर सरकार का पक्ष सदन के पटल पर रखा था। LokSabha
एक और महत्वपूर्ण काम जो हमने किया है वो यही 10,000 FPOs बनाने का।
यह छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं।महाराष्ट्र में FPOs बनाने का विशेष प्रयोग हुआ है।
केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग काफी मात्रा में FPO बनाने के काम में लगे हुए हैं।
मैं किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं।
लेकिन जब आंदोलन जीवी पवित्र आंदोलन को अपने फायदे के लिए उठते हैं तो क्या होता है।
जो नक्सलवादी, आतंकवादी आदि जेल में उनकी फोटो लेकर रिहाई की मांग करना किसान आंदोलन को अपवित्र करने का प्रयास है।
पीएम मोदी ने कहा कि देश में पब्लिक सेक्टर जितना जरूरी है, उतना ही प्राइवेट सेक्टर भी जरूरी है।
हमने किसानों के इंफ्रस्टक्चर के लिए एक लाख करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
हम धीरे-धीरे किसानों को फल, फूल और सब्जी उत्पादन की तरफ ले जा सकते हैं।
बड़ा बदलाव करके हमारे किसानों को एक लंबी यात्रा के लिए तैयार करना होगा।
हमारे किसान से छोटे किसानों को बीज से लेकेर बाजार तक मुहैया करायी है।
सत्ता में हो या विपक्ष में हर किसी को किसानों के लिए काम करने की आवश्यक्ता है।
किसानों को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
LokSabha : आयुष्मान भारत, शौचाल निर्माण की मांग किसी ने नहीं की थी
हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं।
यहा राजा जनक और कृषि के भाई बलराम ने भी हल चलाई है।
कृषि के क्षेत्र में बदलाव की आवश्यक्ता है।
हमारे यहां संभावना है।
किसानों को सही तरीके से गाइड करना होगा।
कृषि में निवेश की आवश्यक्ता है। केंद्र और राज्य सरकार उतना काम नहीं कर पा रही है।
किसान के बस की भी बात नहीं है।
आजादी से पहले यहां से चर्चिल को सिगार भेजी जाती थी।
इसको लेकर पद भी सृजित किए गए थे।
सीसीए (Churchill’s cigar assistant) का पद आजादी के बाद भी जारी रहा।
मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री बनना तो रिपोर्ट आती थी कि आज कोई बलून नहीं आया कोई पर्चा नहीं आया।
उस समय भी यह व्यवस्था लागू थी।
आयुष्मान भारत, शौचाल निर्माण की मांग किसी ने नहीं की थी।
हमारी सरकार को लगा कि लोक हित में यह जरूरी है। इसलिए हमने यह कदम उठाया।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी का यह हाल हो गया है कि राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है और लोकसभा का तबका दूसरी तरफ।
शादी की उम्र, शिक्षा के अधिकार की मांग किसी ने नहीं की थी, लेकिन कानून बने।
क्योंकि समाज को इसकी जरूरत थी।
मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों।
दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया।
प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान हंगामे पर प्रधानमंत्री विपक्ष पर जमकर बरसे।
उन्होंने कहा कि अधीर रंजन जी बहुत ज्यादा हो गया। आज क्या हो गया है आपको?
LokSabha : कृषि कानूनों को लेकर कृषि मंत्री लगातार किसानों से चर्चा कर रहे हैं।
हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है।
ये देश देशवासियों का है। हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं,
अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है।
इन तीनों कृषि कानूनों ने किसानों का क्या उनका हक छीन लिया है क्या?
किसानों को विकल्प दिए गए हैं कि जहां ज्यादा फायदा वहां अनाज बेचे।
संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है।
रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।
तीनों कृषि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई है और न ही एमएसपी।
कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीदी भी बढ़ी गै।
कृषि कानूनों को लेकर कृषि मंत्री लगातार किसानों से चर्चा कर रहे हैं।
अगर किसी बदलाव की आवश्यक्ता महसूस होती है तो उसे बदला जा सकता है।
LokSabha : ये हिंदुस्तान है जो इस कोरोना कालखंड में भी करीब 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है।
इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए।
ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है,
उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है।
कृषि कानून के रंग पर तो कांग्रेस के साथ बहुत बहस कर रहे थे,
लेकिन अच्छा होता उसके कंटेंट और इंटेंट पर चर्चा करते।
कोरोना कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा।
हमने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए।
इसका परिणाम है कि आज ट्रैक्टर हो, गाड़ियां हो, रिकॉर्ड सेल हो रहा है।
जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हुआ है।
दुनिया के लोगों ने अनुमान लगाया है कि करीब-करीब डबल डिजिट ग्रोथ जरूर होगा।
दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना, लॉकडाउन, कर्फ्यू के कारण चाहते हुए भी अपने खजाने में पाउंड और डॉलर होने के बाद भी अपने लोगों तक नहीं पहुंचा पाए।
लेकिन ये हिंदुस्तान है जो इस कोरोना कालखंड में भी करीब 75 करोड़ से अधिक भारतीयों को 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है।
LokSabha : डॉक्टर और नर्स रूपी भगवान ने दुनिया को इस महामारी से बचाया।
जो आधार, जो मोबाइल, जो जनधन कोरोना काल में लोगों की मदद करने में काम आया उसको रोकने के लिए कौन-कौन कोर्ट गए थे।
ये हिन्दुस्तान है जो लगभग 75 करोड़ भारतीयों को कोरोना काल के दौरान 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है।
जिस मरीज के पास कोई नहीं जा सकता था, वहां हमारा सफाईकर्मी जाता था।
वह भगवान के रूप में था। एम्बुलेंस का ड्राइवर भगवान के रूप में आया था।
डॉक्टर और नर्स रूपी भगवान ने दुनिया को इस महामारी से बचाया।
पीएम मोदी ने मनीष तिवारी के बयान पर पटलवार करते हुए यह बात की।
कोरोना काल में भारत में भय बनाने की कोशिश की गई।
दुनिया के बड़े-बड़े देश इस महामारी के सामने घुटने टेक चुके थे।
लेकिन 130 करोड़ हिन्दुस्तानियों के आचरण ने इसे बचाया।
हमारे लिए आवश्यक है कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें। ये किसी शासन व्यवस्था या किसी राजनेता का विचार नहीं है। आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फ़ॉर लोकल सुनाई दे रहा है। ये आत्मगौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर जरूरी नीतियां बननी चाहिए।
आज हम फॉर्मेसी में आत्मनिर्भर है। भारत जितना आत्मनिर्भर बनेगा, दुनिया के कल्याण में भूमिका अदा कर सकेगा।
हमारे लिए संतोष और गर्व का विषय है कि कोरोना के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी इसके जो अनुमान लगाए गए थे कि भारत कैसे इस स्थिति से निपटेगा। ऐसे मैं ये 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने हमें आज बचा कर रखा है।
राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही।
LokSabha : देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है
देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा। लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं।
आजादी के 75वें वर्ष का पड़ाव हर हिन्दुस्तानी के लिए गर्व का पल है। इसलिए हम देश के किसी कोने में हों, हम सब मिलकर आजादी के इस पर्व से एक नई प्रेरणा प्राप्त कर और नए संकल्प के साथ अगले 25 वर्षों का वातावरण तैयार करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों का आभार प्रकट किया। उन्होंने खास रूप से महिला सांसदों का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि सभी ने धारदार तरीके से संसद में अपनी बातें रखीं। उनकी तैयारी, तर्क औक सूझबूझ का अभिनंनद करता हूं।
राष्ट्रपति के अभिभाषण के एक-एक शब्द देशवासियों को प्रेरणा देने वाला है। मैं इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं। मैं विशेष रूप से हमारी महिला सांसदों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
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