PM मोदी ने रद्द की CBSE 12वीं की परीक्षा; कहा छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता

केंद्र सरकार ने परीक्षा पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से 2 दिन का वक्त मांगा था
PM मोदी ने रद्द की CBSE 12वीं की परीक्षा; कहा छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता

डेस्क न्यूज़: देश में कोरोना के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने इस साल CBSE 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है। इससे पहले 10वीं की परीक्षा भी रद्द कर दी गई थी। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी छात्रों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। ऐसे माहौल में उन्हें परीक्षा का तनाव देना ठीक नहीं है। हम उनकी जान को खतरे में नहीं डाल सकते। उन्होंने कहा कि 12वीं का रिजल्ट निर्धारित समय के भीतर और तार्किक आधार पर तैयार किया जाएगा।

बैठक में प्रधानमंत्री की 5 बड़ी बातें…

  • छात्रों के हित को ध्यान में रखकर ही 12वीं की परीक्षा पर फैसला लिया गया है।
  • छात्रों की सुरक्षा और सेहत हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इस पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है।
  • परीक्षा को लेकर छात्र, पैरेंट्स और टीचर्स सभी परेशान थे। इस फिक्र को खत्म किया जाना जरूरी था।
  • ऐसे दबाव भरे माहौल में छात्रों को परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जाना ठीक नहीं होगा।
  • परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों को इस समय छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री के सामने सभी विकल्प रखे गए

बैठक में CBSE के अध्यक्ष, शिक्षा मंत्रालय के सचिव के अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, राजनाथ सिंह और प्रकाश जावड़ेकर ने भाग लिया। यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। सूत्रों के मुताबिक परीक्षा कराने के सारे विकल्प प्रधानमंत्री के सामने रखे गए थे। ये विकल्प राज्य सरकारों और CBSE बोर्ड के साथ लंबी चर्चा के बाद तैयार किए गए थे।

बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। कोरोना की स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा था कि छात्रों का मूल्यांकन पिछले प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए। केजरीवाल ने कहा था कि माता-पिता परेशान हैं। वे नहीं चाहते कि बिना टीकाकरण के परीक्षा का आयोजन किया जाए। परीक्षा रद्द होने के बाद केजरीवाल ने इसे छात्रों के हित में लिया गया फैसला बताया।

केंद्र सरकार ने परीक्षा पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट से 2 दिन का वक्त मांगा था

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को CBSE और ICSE की बोर्ड परीक्षाओं की सुनवाई हुई। इसमें केंद्र ने कहा था कि वह गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी योजना पेश करेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप जो भी फैसला लेंगे, उसके पीछे आपको एक मजबूत तर्क देना होगा। जस्टिस खानविलकर ने कहा था कि छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि इस साल भी पिछले साल की तरह परीक्षा नहीं होगी और नंबरिंग के लिए पद्धति प्रणाली अपनाई जाएगी।

शिक्षा मंत्रालय ने तैयार किए थे 3 विकल्प

सूत्रों ने भास्कर को बताया था कि परीक्षाएं कराने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया था। इसे प्रधानमंत्री को भी दिखाया गया।

पहला प्रपोजल: 12वीं के मुख्य विषयों यानी मेजर सब्जेक्ट्स का एग्जाम लिया जाए। साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के केवल 3 मुख्य विषयों की ही परीक्षा लेने के बाद बाकी सब्जेक्ट्स में मुख्य विषयों पर मिले नंबर्स के आधार पर मार्किंग का फॉर्मूला बनाया जाए।

दूसरा प्रपोजल: 30 मिनट की परीक्षाएं हो और इनमें ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएं। इस परीक्षा में विषयों की संख्या भी सीमित करने की बात कही गई, पर इसके बारे में साफ कुछ नहीं बताया गया।

तीसरा प्रपोजल: अगर देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति ठीक नहीं होती है तो 9वीं, 10वीं और 11वीं तीनों का इंटरनल असेसमेंट किया जाए। इसके बाद इसके आधार पर ही 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया जाए। इस प्रपोजल को लेकर भी फॉर्मूला साफ नहीं हो पाया था।

12 राज्य चाहते थे कि 3-4 विषयों की परीक्षा हो, समय भी घटे

देशभर में 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने केंद्र सरकार को अपने सुझाव भेजे थे। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने परीक्षा से पहले वैक्सीन लगाने का सुझाव दिया था। महाराष्ट्र ने भी ऑनलाइन परीक्षा की बात कही थी। यूपी, जम्मू और कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते थे कि केवल मुख्य विषयों का परीक्षण किया जाए और परीक्षा का समय कम किया जाए। परीक्षा बच्चों के अपने स्कूल में होनी चाहिए।

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