राजस्थान की महारैली के बाद अब महा- बवाल मचना शुरू होगया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी देश के विभाजन को लेकर अपना बयान दिया है। वही राहुल गाँधी के हिन्दू और हिंदुत्व की परिभाषा से अलग - अलग तरह की प्रतिक्रिया आने लगी है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भारत के विभाजन को एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती बताते हुए दावा किया है कि इसका नुकसान सिर्फ कश्मीरियों को ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मुसलमानों को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि अगर यह मुल्क एक होता तो ताकत भी रहती, मुश्किलें भी नहीं पैदा होती और देश में भाईचारा भी रहता।
फारूक अब्दुल्ला ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए भी कहा की उन्हें मातृभूमि पर लौटने से कोई नहीं रोक सकता है और उनकी "जातीय सफाई" के साजिशकर्ताओं को कभी भी जम्मू-कश्मीर नहीं मिलेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि घाटी में दो समुदायों के बीच नफरत की वजह से उनकी वापसी का समय सही नहीं है। 1990 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान प्रायोजित उग्रवाद के मद्देनजर कश्मीरी पंडित घाटी से चले गए थे। प्रवासी पंडितों की एक सभा को संबोधित करते हुए, अब्दुल्ला ने कहा कि एक राजनीतिक दल द्वारा समुदाय को "वोट बैंक" के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था जो केवल इसके हमदर्द होने का दावा करता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण और वाराणसी में आयोजित भव्य कार्यक्रम पर मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मुबारक हो, यह अच्छी बात है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी को दूसरों धर्मो को भी तवज्जों देनी चाहिए क्योंकि वो सिर्फ एक धर्म के नहीं पूरे भारत के प्रधानमंत्री हैं। भारत में बहुत सारे धर्म है।
हिंदू और हिंदुत्व को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कोई धर्म बुरा नहीं होता है, इंसान बुरे होते हैं। उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करेंगे कि हिंदू असली हिंदू बने और अपने धर्म का पालन करें।