देश में पिछले कुछ समय से जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने को लेकर काफी चर्चा हुई थी। इसके लिए संसद में एक बिल भी पेश किया गया। इसके तहत दो बच्चों के संबंध में नियम बनाकर इसे कानूनी दायरे में लाने की बात कही गई। लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा में इस बिल को खारिज कर दिया है। इसके बाद इस बिल को पेश करने वाले बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने इसे वापस ले लिया है।
बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने जुलाई 2019 को राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा बिल पेश किया था। तस्वीर- Youtube
राकेश सिन्हा ने 2019 में राज्यसभा में पेश किया था बिल
बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने जुलाई 2019 को राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा बिल पेश किया था। लेकिन शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री के इनकार करने के बाद उन्होंने इसे वापस ले लिया। राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि सरकार लोगों पर दबाव बनाने के बजाय उन्हें सफलतापूर्वक जनसंख्या नियंत्रण के बारे में जागरूक कर रही है। इसके साथ ही इसके लिए स्वास्थ्य अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है, शुभ संकेत- मंडाविया
मंडाविया ने शुक्रवार को राज्यसभा में परिवार नियोजन कार्यक्रमों के प्रभाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-V (NFHS) और जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, ‘जब हम एनएफएचएस और जनसंख्या के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि हमने सफलता पाई है. 1971 में औसत वार्षिक वृद्धि 2.20 थी, 1991 में यह 2.14 हो गई और फिर 2011 में ये और कम होकर 1.64 हो गई। इससे यह पता चलता है कि जनसंख्या वृद्धि कम हुई है और ये लगातार जारी है। 60 और 80 के दशक के दौरान बढ़ी हुई जनसंख्या वृद्धि दर कम हो रही है, यह अच्छा संकेत है।’
सुप्रीम कोर्ट में भी जब दो बच्चों की नीति से जुड़ी एक पीआईएल की सुनवाई हुई, तो केंद्र सरकार ने बहुत शानदार हलफ़नामा दायर किया था कि भारत में परिवार नियोजन के लिए किसी भी बलपूर्वक तरीक़े की ज़रूरत नहीं है।तस्वीर- News18
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष
"सुप्रीम कोर्ट में भी जब दो बच्चों की नीति से जुड़ी एक पीआईएल की सुनवाई हुई, तो केंद्र सरकार ने बहुत शानदार हलफ़नामा दायर किया था कि भारत में परिवार नियोजन के लिए किसी भी बलपूर्वक तरीक़े की ज़रूरत नहीं है।
भारत में ये अधिकार का मुद्दा है और परिवार नियोजन के लिए एक राइट्स बेस्ड अप्रोच ही बेहतर है। कमीशन ने सुझाव देने का मौक़ा दिया है तो हम उसका स्वागत करते हैं और अपने सुझाव देंगे, हम डेटा भी देंगे, सबूत भी देंगे कि इस तरह के कानून की ज़रूरत नहीं है और उम्मीद करते हैं कि सरकार एक ऐसी नीति बनाये जो महिलाओं को ध्यान में रखेगी और उनके अपने शरीर पर अधिकार का सम्मान करेगी।"
इस पर राकेश सिन्हा ने कहा कि हमारी सरकार संवैधानिक स्तर पर जनसंख्या को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। हम आपातकाल को दोहराना नहीं चाहते हैं।तस्वीर- Tribune India