राज्यपाल ने गहलोत सरकार द्वारा प्रस्तुत तीसरा विधेयक लौटाया वापस,जाने क्यों ?

अब तक सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति बनने के लिए प्रोफेसर का 10 साल का अनुभव होना जरूरी है, लेकिन सरकार इसमें संशोधन करना चाहती है।
राज्यपाल ने अधिवक्ता कल्याण संशोधन विधेयक को वापस कर दिया था।
राज्यपाल ने अधिवक्ता कल्याण संशोधन विधेयक को वापस कर दिया था।

राजस्थान में पहली बार कोई ऐसी यूनिवर्सिटी जो लम्बे समय तक विवादों में रही है तो वह है हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय। कभी कुलपति की योग्यता को लेकर तो कभी फर्जी तरीके से प्रोफेसर बनाये जाने को लेकर बड़े विवाद खड़े हुए है। वही राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने यहां हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में कुलपति पद के लिए योग्यता आवश्यकताओं को बदलने के लिए विधानसभा में पेश किया गया एक विधेयक वापस लौटा दिया है।

कुलपति बनने के लिए प्रोफेसर का 10 साल का अनुभव होना जरूरी है
कुलपति बनने के लिए प्रोफेसर का 10 साल का अनुभव होना जरूरी है

पिछले डेढ़ साल में यह राज्य सरकार का तीसरा विधेयक है, जिसे राजभवन ने लौटाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार राजभवन ने विधेयक को यह कहते हुए वापस भेज दिया है कि विभिन्न नियामक निकायों के प्रावधानों और आवश्यक न्यूनतम अनुभव को ध्यान में रखते हुए इसकी दोबारा जांच की जानी चाहिए। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार का यह तीसरा विधेयक है, जिसे राजभवन ने वापस कर दिया।

राज्य सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान पत्रकारिता विश्वविद्यालय विधेयक पेश किया था। इस विधेयक के तहत, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में पत्रकारिता में 20 साल का अनुभव रखने वाले व्यक्ति को पत्रकारिता विश्वविद्यालय का कुलपति बनने की अनुमति है। अब तक सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति बनने के लिए प्रोफेसर का 10 साल का अनुभव होना जरूरी है, लेकिन सरकार इसमें संशोधन करना चाहती है।

इससे पहले राज्यपाल ने अधिवक्ता कल्याण संशोधन विधेयक को वापस कर दिया था। एक अन्य विधेयक, राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण विधेयक, को वापस कर दिया गया, क्योंकि विभिन्न समूहों द्वारा इस पर कई आपत्तियां उठाए जाने के बाद राज्य सरकार ने खुद इसे वापस मांगा था।

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