राजस्थान में विधान सभा चुनाव में अब 1 साल बचा है। मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश अनुसार प्रशासनिक फेरबदल भी किया गया है। गहलोत की नजर अब आने वाले विधान सभा चुनाव पर है वही दूसरी तरफ सचिन पायलट गुट की भी राजस्थान विधान सभा चुनाव पर नजर बनी हुई है। विधान सभा चुनाव की तैयारी कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से जोरो - शोरो से शुरू होगयी है। गौरतलब है की बीजेपी ने विधान सभा चुनाव का बिगुल अमित शाह के रोड शो के समय फूंक दिया था। वही किसानों का ऋण बजट फिर से बढ़ा सकती है गहलोत सरकार सहकारिता विभाग वित्त विभाग को भेजेगा बजट बढ़ाने का प्रस्ताव, सालाना 23,500 करोड़ ऋण बांटने का प्रस्ताव भेजेगा सहकारिता विभाग
1 दिसंबर को कांग्रेस ने 13 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की। इसके बाद शेष जिलों की सूची भी जल्द जारी होने की बात कही गई। लेकिन 45 दिन बाद भी दूसरी सूची का अता-पता नहीं है।
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भी असमंजस
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद यह माना जा रहा था कि राजनीतिक नियुक्तियां भी जल्द कर ली जाएंगी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कुछ नामों को लेकर अभी सहमति नहीं बन पा रही है इसलिए मामला अटका पड़ा है।
राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर प्रदेश में पहले की सरकारों का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि ज्यादातर राजनीतिक नियुक्तियां आखिर के दो साल में ही की जाती हैं। हालांकि राजनीतिक नियुक्तियों के मामले में अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले राज्य वित्त आयोग, मानवाधिकार आयोग सूचना आयोग और कर्मचारी चयन बोर्ड में नियुक्तियां कर चुके हैं।
अल्प संख्यक आयोग, ओबीसी आयोग, एससी आयोग, महिला आयोग, निशक्तजन आयोग, किसान आयोग, बाल संरक्षण आयोग, एसटी आयोग, गौ सेवा आयोग, सूचना आयोग, पशुधन विकास बोर्ड, उपाध्यक्ष पशुधन विकास बोर्ड, सैनिक कल्याण बोर्ड, मगरा विकास बोर्ड, लघु उद्योग विकास बोर्ड, राज्य खाद्य बीज निगम, भूदान आयोग, केश कला बोर्ड, समाज कल्याण बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड, बाल सुधार आयोग, उपाध्यक्ष एसटी आयोग, उपाध्यक्ष एससी आयोग, उपाध्यक्ष पशु कल्याण बोर्ड, अध्यक्ष विशेष योग्यजन, अध्यक्ष वक्फ बोर्ड, वेयर हाऊसिंग कॉरपोरेशन, राजस्थान वरिष्ठ नागरिक बोर्ड सहित 41 बोर्ड शामिल हैं। इनके अलावा करीब 11 यूआईटी और अन्य बोर्ड भी शामिल हैं।
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