राजस्थान सरकार अब प्रदेश में हो रहे कोयले की बड़ी समस्या को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों व पहल पर केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान के तापीय विद्युत गृहों के लिए ब्रिंज लिंकेज और तात्कालीक लिंकेज के तहत राजस्थान के तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध कराने की अनुशंसा कर दी है । अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय की केाल मंत्रालय को की गई अनुशंसा से अब प्रदेश की तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयला उपलब्ध होने की राह प्रशस्त हो गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश के तापीय विद्युत गृहों के लिए कोयले की उपलब्धता को लेकर गंभीर रहे हैं और स्वंय के स्तर पर निरंतर मोनेटरिंग, समीक्षा बैठकों के साथ ही विभागीय प्रयासों की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं।
ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की अनुशंसा को बड़ी सफलता और प्रदेश के लिए राहत भरी खबर बताया है। उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश के प्रभावित चारों तापीय विद्युत उत्पादन गृहों में बिजली का निर्बाध उत्पादन जारी रह सकेगा।
एसीएस एनर्जी डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के छबड़ा की 1320 और 500 मेगावाट की इकाई, सूरतगढ़ की 1320 मेगावाट इकाई और कालीसिंध की 1200 मेगावाट की इकाई कुल 4340 मेगावाट इकाइयों के लिए राज्य सरकार की केप्टिव माइन परसा ईस्ट और केंटा बेसिन से कोयला आ रहा था। उन्होंने बताया कि परसा ईस्ट और केंटा बेसिन ब्लाक के दूसर चरण और परसा कोल ब्लॉक व केंटा एक्सटेंसन कोल ब्लॉक में खनन कार्य आरंभ होने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से आवश्यक अनुमति मिलने में हो रही देरी को देखते हुए राज्य की इन इकाइयों के सामने कोयले का संकट आ गया है।