Assembly Election 2023: रविवार (3 दिसंबर, 2023) को दोपहर तक आए नतीजों से यह बात भी साबित हो गई है कि ये चुनाव परिणाम एक तरह से वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल जैसे है। तीन राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रचंढ़ बहुमत से भाजपा सीटें मिलना केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के लिए बहुत ही शुभ संदेश है।
तीन राज्यों में भाजपा को मिल रही जीत से यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि शीघ्र ही होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में पुन: केंद्र में भाजपा को ही सत्ता मिलने वाली है। लोकसभा सीटों के हिसाब से भी ये तीनों की राज्य बड़े महत्वपूर्ण हैं। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25 और छत्तीसगढ़ में 11 सीटें हैं। यह तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भी कमल ही खिलने वाला है।
विधानसभा चुनाव 2023 के आए चार राज्यों के आए चुनाव रूझानों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता ने वहां की कांग्रेस सरकारों के नेतृत्व को नकारते हुए भाजपा को सत्ता सौंपने जा रही है। राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व को जनता ने ठुकरा दिया है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश में तो भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है। राजस्थान में 110 से अधिक और मध्य प्रदेश में 150 से ज्यादा सीटें भाजपा को मिलती दिख रही है। छत्तीसगढ़ में भी पूर्ण बहुमत 50 से ऊपर सीटें मिलती दिख रही हैं।
राजस्थान के चुनावी आंकड़ों पर साल 1998 से नजर डालें तो पता लगता है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग है। भले ही दोनों चुनाव के बीच कुछ महीने का अंतर हो, लेकिन दोनों के रिजल्ट का एक दूसरे पर कोई खास असर नहीं पड़ता।
मसलन- साल 1998 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस सरकार बंपर वोट से सत्ता में आई तो अगले साल यानी 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा भारी पड़ी। हालांकि 2003 से लेकर 2014 के बीच राजस्थान में एक खास पैटर्न दिखाई दिया। इस दरम्यान जिस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की, वहीं लोकसभा चुनाव में भी भारी पड़ी।
मध्य प्रदेश की सियासत भी लगभग राजस्थान जैसी है।1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी तो अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी पड़ी। 2003-2004 में हुए विधानसभा व लोकसभा चुनाव दोनों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा। 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अगले साल हुए लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन दोहरा नहीं पाई।
अब छत्तीसगढ़ की बात करते हैं, जिसका गठन साल 2000 में हुआ। छत्तीसगढ़ के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 2003 के बाद से अब तक राज्य में किसी की भी सत्ता रही हो, बीजेपी हर बार लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती रही है। राज्य के गठन के बाद कांग्रेस अब तक सिर्फ एक या दो लोकसभा सीटें ही जीत पाई है।
तीनों राज्यों के पिछले दो दशक के विधानसभा व लोकसभा चुनाव परिणाम से पता लगता है कि हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव का परिणाम चाहे जो हो, बीजेपी लोकसभा चुनाव में भारी पड़ती रही है। विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP Vote Share) का वोट शेयर भी थोड़ा-थोड़ा बढ़ता रहा है।