क्या नुपुर शर्मा की बेतुकी बयानबाजी ने मोदी की सालों की मेहनत कर दी खराब?

इस मुद्दे पर पहले 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन ने विरोध जताया और इसके बाद कुछ अरब देशों ने भारतीय उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया। विरोध के तुरंत बाद भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं पर कार्रवाई कर दी।
क्या नुपुर शर्मा की बेतुकी बयानबाजी ने मोदी की सालों की मेहनत कर दी खराब?
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पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक बयान पर खाड़ी देशों से उठे विरोध के बाद बीजेपी ने अपने प्रवक्ताओं पर एक्शन लिया है। पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा और नवीन कुमार को पार्टी से बर्खास्त कर दिया और उसके बाद ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करके उन्हें विवादास्पद बयानों से दूर रहने की हिदायत भी दे डाली।

लेकिन समझने और सोचने वाली बात ये है कि बीजेपी ने ये एक्शन विदेशी विरोध के बाद ही क्यों लिया? कितने अहम हैं खाड़ी देशों से हमारे? रिश्ते इन सवालों का जवाब आपको देंगे हम आज की इस रिपोर्ट में।

तेल और गैस के लिए भारत गल्फ देशों पर है निर्भर

बता दें कि इस मुद्दे पर पहले 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन ने विरोध जताया और इसके बाद कुछ अरब देशों ने भारतीय उत्पादों का बहिष्कार शुरू कर दिया। विरोध के तुरंत बाद भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं पर कार्रवाई कर दी।

बीजेपी की इस कार्रवाई से पहले हमको ये समझना होगा कि भारत तेल और गैस जैसी बुनियादी चीजों के लिए मिडिल ईस्ट पर निर्भर है। इसके लाखों की संख्या में भारतीय खाड़ी के देशों में रहते हैं। ऐसी स्थिति में ये देश कभी भी कह सकते हैं कि भारतीय नागरिकों की उन्हें जरूरत नहीं है।

इन्ही वजह से विरोध के बाद बीजेपी को ये कहना पड़ा कि ये पार्टी के प्रवक्ताओं के निजी विचार हैं। सरकार या पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है।

कार्रवाई महज दिखावा - विशेषज्ञ

वहीं विदेशी मामलों के कुछ विशेषज्ञों का कहना है

बीजेपी की ये कार्रवाई महज दिखावा भर है। ऐसा करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की गई है। इससे पार्टी की रीति-नीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस दौरान सोशल मीडिया पर कुछ लोग कहने लगे कि कतर की क्या औकात है। हम भी ऐसे देशों का बहिष्कार करेंगे। लेकिन समझने की बात यह है कि कतर के पास गैस का सबसे बड़ा भंडार है और भारत उसका सबसे बड़ा इंपोर्टर है। यूएई ने हमारे पीएम को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है। पीएम ने आठ साल में जो सफलता हासिल की है, उसे इस तरह के बयानों से नुकसान पहुंचाया गया है।

विवाद बढ़ने पर बन सकती हैं 1991 जैसी स्थिति

वहीं कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि बयानबाजी पर लिए गए एक्शन के पीछे आर्थिक वजहें सबसे बड़ी हैं। 50 से अधिक इस्लामिक देश हैं, जिनसे रणनीतिक, सामरिक और आर्थिक तौर पर सीधे भारत जुड़ा हुआ है।

अगर ये मामला बढता है तो 1991 के जैसा गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। इसे बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस के तौर पर भी जाना जाता है। इसकी एक वजह अमेरिका-इराक युद्ध भी थी। इराक से भारत तेल इंपोर्ट करता था, जो अमेरिका से युद्ध के चलते ठप हो गया था। वहीं मिडिल ईस्ट में रहने वाली बड़ी भारतीय आबादी भारत वापस आ गई थी। वहां काम करने वाले लोग भारत में रह रहे अपने परिवारों को भी पैसा भेजते थे, जो उस दौरान बंद हो गया। इसके चलते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटने लगा और आर्थिक संकट गहरा गया

पाकिस्तान पर निगाह रखने के लिए ईरान जरूरी

ईरान से यदि संबंध खराब हो जाते हैं तो उस स्थिति में आप पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर कैसे नजर रखेंगे। सुरक्षा के लिहाज से इन देशों से अच्छे रिश्ते रखना हमारे के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।दुबई में 25 से 30 फीसदी आबादी भारत और पाकिस्तान की है। अगर भारत में हिंदू-मुस्लिम विवाद बढ़ता है तो उसका असर इस्लामिक देशों से रिश्तों पर पड़ेगा।

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