#HappyBdayPMModi चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर…जानिए।

बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय था जब पीएम मोदी सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए काम करते थे।
#HappyBdayPMModi चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर…जानिए।
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न्यूज – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 69 वर्ष के हो गए हैं और पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर बर्थडे सेलिब्रिशन चल रहा है। मोदी के जन्मदिन पर उनके अनसुने और अज्ञात तथ्यों को जानने की कोशिश करते है, जिसने उन्हें देश का इतना बडा नेता बनाया।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार है जिसने देश की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस को हराया है। वो भी पिछले दो आम चुनावों में..2014 और 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को पुर्ण बहुमत की सरकार मिली। दूसरी ओर, कांग्रेस 2014 में सत्ता से बाहर हुई मोदी लहर को रोकने में नाकाम रही।

बहुत कम लोग जानते हैं कि एक समय था जब पीएम मोदी सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए काम करते थे।

जी हाँ, आपने सही सुना!, नरेंद्र मोदी गुजरात के वडनगर में आयोजित कांग्रेस कार्यक्रमों में एक बाल स्वयंसेवक के रूप में काम किया करते थे। प्रधानमंत्री मोदी के जीवन को करीब से जानने वाले बताते है कि एक छ वर्षीय, मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बालस्वामी सेवक थे और कांग्रेस के कार्यक्रमों के लिए भी काम करते थे, जो कांग्रेस नेता रसिकभाई दवे द्वारा आयोजित किए गए थे।

जिस उम्र में युवा अपने भविष्य की चिंता करते हैं, उस वक्त 17 साल की उम्र में उन्होंने एक असाधारण निर्णय लिया, प्रधानमंत्री ने घर छोडने का निर्णय लिया लेकिन इस निर्णय ने उनका जीवन बदल दिया। घर से बाहर रहने के दौरान उन्होंने हिमालय, पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण आश्रम और पूर्वोत्तर भारत की यात्रा की, मोदी दो साल के बाद वापस लौट आए, लेकिन घर पर केवल दो सप्ताह ही रुके और वापस चले गए।

वे कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए थे और आरएसएस से उनका पहला परिचय आठ साल की कम उम्र में हुआ, जब वह अपनी चाय की दुकान पर दिन भर काम करने के बाद आरएसएस के युवाओं की स्थानीय बैठक में भाग लिया करते थे,

अपनी इस पृष्ठभूमि के साथ, करीब 20 साल की उम्र में वे गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद पहुंच गए और आरएसएस के नियमित सदस्य बन गए और उनके समर्पण और संगठन कौशल ने लोगों को प्रभावित किया।

नरेंद्र मोदी आपातकाल के भी विरोधी रहे, वे आपातकाल के दौरान गठित की गई गुजरात लोक संघर्ष समिति के एक सदस्य थे, यह समिति आपातकाल विरोधी आंदोलन कर रही थी।

 मोदी बाद में इसी समिति के महासचिव बन गए, जिसके तौर पर उनकी प्राथमिक भूमिका राज्य भर में कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय स्थापित बनाने की थी। आपातकाल के दौरान मोदी ने बहुत काम किये, इसी दौरान एक बार तो वे स्कूटर पर सवार होकर RSS के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को एक सुरक्षित घर में ले गए थे।

आपातकाल के दौरान गिरफ्तारियों का दौर चल रहा था और उस वक्त कुछ महत्वपूर्ण कागजात गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के पास थे। नरेंद्र मोदी को जिम्मेदारी दी गई गई कि वे किसी भी तरह उन कागजात को पुलिस थाने में पुलिस की हिरासत में बैठे नेताओं से वापस लेकर आएं, जब नानाजी देशमुख को गिरफ्तार कर लिया गया था, तब उनके पास एक पु‍स्तक थी जिसमें उनसे सहानुभूति रखने वालों के कॉन्टेक थे। नरेन्द्र मोदी ने उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का इंतजाम किया और किसी को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाए,

नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले साधक के रूप में जीवन व्यतीत किया था, स्वामी चिदानंद के अनुसार एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऋषिकेश स्थित परमार्थ आश्रम आए थे और 10-12 दिन तक साधना करी। उस दौरान वे सुबह उठते और पद यात्रा करने के बाद पूरे दिन साधना में लीन रहते थे, उन्होंने वहां प्राकृतिक चिकित्सा ली और उसे सीखी भी, शायद मोदी संन्यासी बनना चाहते थे।

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