कांग्रेस छोड़ साइकिल पर क्यों सवार हुए कपिल सिब्बल?

kapil sibal files Rajya Sabha nomination with Samajwadi Party: देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस से लगातार दिग्गजों का मोह भंग हो रहा है। इस कड़ी में कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल का नाम भी जुड़ गया। खास बात ये है कि जब कांग्रेस में सिब्बल के टिकट पर सोच विचार चल रहा था तब 3 बड़ी विपक्षी पार्टियां उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने को राजी थीं। लेकिन सिब्बल ने अखिलेश की सपा के साथ जाने का मन बनाया।
कांग्रेस छोड़ साइकिल पर क्यों सवार हुए कपिल सिब्बल?
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kapil sibal files Rajya Sabha nomination with Samajwadi Party: देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस से लगातार दिग्गजों का मोह भंग हो रहा है। इस कड़ी में कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल का नाम भी जुड़ गया है। बुधवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए कहा कि मैंने तो 16 मई को ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। समाजवादी पार्टी से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखि करने के बाद सिब्बल ने मीडिया से बातचीत ये बात कही।

माना जा रहा था कि कांग्रेस शायद ही उन्हें राज्यसभा भेजे

बुधवार को उन्होंने समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल कांग्रेस हाईकमान खासतौर से राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं, ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें शायद ही राज्यसभा भेजे। नामांकन से पहले सिब्बल सपा दफ्तर गए थे और वे अखिलेश के साथ ही राज्यसभा पहुंचे।
खास बात ये है कि जब कांग्रेस में सिब्बल के टिकट पर सोच विचार चल रहा था तब 3 बड़ी विपक्षी पार्टियां उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने को राजी थीं। यूपी से सपा, बिहार से राजद और झारखंड से झारखंड मुक्ति मोर्चा सिब्बल को राज्यसभा भेजने की तैयारी कर चुकी थीं, लेकिन सिब्बल ने अखिलेश की सपा के साथ जाने का मन बनाया।
बता दें कि सिब्बल पिछले दिनों कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने मार्च में एक इंटरव्यू के दौरान गांधी परिवार को जमकर आड़े हाथों लिया था।
8 अगस्त, 1948 को पंजाब के जालंधर में जन्में कपिल सिबल (Kapil Sibbal) के पिता का नाम हीरालाल सिब्बल और मां का कैलाश रानी सिब्बल है। इनकी फैमिली 1947 के बंटवारे में भारत आकर बस गई थी। सिब्बल के पिता हीरालाल भी पेशे से वकील थे और उन्हें भारत सरकार ने 2006 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल का केस लड़ रहे कपिल​ सिब्बल

2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सिब्बल वीपी सिंह की सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। 2016 में कांग्रेस ने उन्हें UP से राज्यसभा भेजा था। सिब्बल सोनिया-राहुल गांधी पर चल रहे नेशनल हेराल्ड केस में पैरवी भी कर रहे हैं। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल समेत 5 नेताओं पर आरोप है कि हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से इस्तेमाल किया गया था इसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। इस मामले में सोनिया-राहुल जमानत पर हैं।

16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से दे चुके थे इस्तीफा

नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल अभी UP से कांग्रेस कोटे से सांसद हैं, लेकिन इस बार UP में पार्टी के पास इतने ही विधायक नहीं हैं, जो उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सकें। लिहाजा, सिब्बल के फ्यूचर को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।

सिब्बल ने पांच राज्यों में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद कहा था, कांग्रेस घर की नहीं सबकी होनी चाहिए

UP, पंजाब सहित 5 राज्यों की हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद कपिल सिब्बल गांधी परिवार के विरुद्ध खुलकर मुखर हुए थे। एक इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि घर की कांग्रेस नहीं होनी चाहिए.. अब तो सबकी कांग्रेस होगी...। उन्होंने कहा- कांग्रेस में अध्यक्ष ना होते हुए भी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं..., जबकि हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता...। राहुल के रहते कांग्रेस कई चुनाव हार चुकी है..., ऐसे में नए लोगों को नेतृत्व देना जरूरी हो गया है।

ऐसा रहा राजनीतिक कॅरियर

1973 में आईएएस बनने का ऑफर ठुकराने के बाद कपिल सिब्बल ने कानून के क्षेत्र में ही अपनी एक अलग जगह बनाई। 1989-90 में वो भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ADG) भी बने। कपिल सिब्बल ने 2004 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली एनसीआर के चांदनी चौक से जीत हासिल की। उन्होंने बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराया। इसके बाद वो मनमोहन सिंह की सरकार में विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री भी रहे। कपिल सिब्बल ने 2009 में फिर चांदनी चौक से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते।
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