क्या उद्धव की नहीं रहेगी शिवसेना,विधायकों के बाद 9 सांसद भी बागी?

सूत्रों के मुताबिक वे सत्ता परिवर्तन का इंतजार कर रहे हैं और शिंदे को शिवसेना की पूरी कमान मिलते ही वे उद्धव से अलग खड़े हो जाएंगे। इनके अलावा कुछ और नाम भी हैं जो आज सामने आ सकते हैं
क्या उद्धव की नहीं रहेगी शिवसेना,विधायकों के बाद 9 सांसद भी बागी?
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उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद अब शिवसेना टूटने के कगार पर खड़ी है। सीएम उद्धव ठाकरे ने जनता के लिए एक भावनात्मक संदेश जारी कर अब अपने सरकारी आवास यानि वर्षा बंगले से अपना सारा सामान लपेट कर मातोश्री पहुंच गए हैं। इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि विधायकों की तरह शिवसेना के 19 सांसदों में से करीब 8-9 सांसद भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं। हालांकि, दलबदल विरोधी कानून के चलते शिवसेना में रहना उनकी मजबूरी होगी।

सांसद भावना गवली का नाम सबसे प्रमुख
सीएम उद्धव के करीबी एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इनमें से ज्यादातर सांसद कोंकण, मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र से हैं। इनमें वाशिम की शिवसेना सांसद भावना गवली का नाम सबसे प्रमुख बताया जा रहा है। उन्होंने एकनाथ शिंदे के समर्थन में पत्र लिखा है और उद्धव से बागी विधायकों की मांग पर विचार करने और इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की अपील की है।

सत्ता परिवर्तन का इंतजार?

सूत्रों के मुताबिक वे सत्ता परिवर्तन का इंतजार कर रहे हैं और शिंदे को शिवसेना की पूरी कमान मिलते ही वे उद्धव से अलग खड़े हो जाएंगे। इनके अलावा कुछ और नाम भी हैं जो आज सामने आ सकते हैं। एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे, ठाणे के लोकसभा सांसद राजन विचारे और नागपुर के रामटेक सांसद कृपाल तुमाने भी पार्टी से नाराज हैं।

सांसद भावना गवली
सांसद भावना गवली
सांसद भावना की बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की भी अपील
शिवसेना सांसद भावना गवली ने अपने पत्र में लिखा है, 'बागी विधायकों की हिंदुत्व के पक्ष में मांग पर विचार किया जाना चाहिए। 'उन्होंने सीएम से बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की भी अपील की है। हालांकि, उद्धव समर्थित नेताओं का कहना है कि भावना के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच चल रही है। ईडी ने उन्हें तीन बार तलब किया है। गवली के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच महिला प्रतिष्ठान ट्रस्ट में चल रही है। इस ट्रस्ट में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला काफी पुराना है।

एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल

कुछ अन्य लोगों में ठाणे से सांसद और एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे का नाम शामिल है। उनके साथ ही मराठवाड़ा के कुछ सांसद भी उद्धव के फैसलों से नाराज हैं। उनका कहना है कि लोकसभा में 19 सांसदों के साथ मजबूत स्थिति में खड़े होने के बावजूद उद्धव मुंबई तक ही सिमट कर रह गए हैं और कई बार कहने के बावजूद उनसे जुड़े कार्यकर्ताओं को पार्टी में लगातार उपेक्षित किया जा रहा है।

एकनाथ शिंदे और बेटा श्रीकांत शिंदे
एकनाथ शिंदे और बेटा श्रीकांत शिंदे

एक कानून जो विधायकों को दल बदलने से रोकता है

दल-बदल विरोधी कानून विरोधी कानून है, जो विधायकों या सांसदों को दल बदलने से रोकता है। दरअसल, अगर कोई विधायक चुनाव से पहले पार्टी बदलता है, तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर वह किसी एक पार्टी से जीतकर ऐसा करता है, तो उसे पहले लोकसभा से इस्तीफा देना होगा और उसकी सीट पर फिर से चुनाव होगा।

सांसदों की स्थिति महाराष्ट्र विधानसभा को प्रभावित नहीं करेगी
इस कानून में एक प्रावधान भी है, जिसके तहत अगर पार्टी के 2/3 सांसद एक साथ पार्टी छोड़ देते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं होगी, और न ही उनकी सीटों पर चुनाव होंगे और इस दौरान वे जिस भी पार्टी का समर्थन करेंगे। उनकी सरकार बिना किसी परेशानी के सत्ता में आएगी। हालांकि, सांसदों की स्थिति महाराष्ट्र विधानसभा को प्रभावित नहीं करेगी।

सांसदों के पक्ष बदलने से राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा असर

राष्ट्रपति चुनाव 2022 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा न होने के कारण प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 700 हो गया है। ऐसे में अगर शिंदे गुट के पास ज्यादा सांसद हैं और वे शिवसेना के असली उत्तराधिकारी बनते हैं तो विपक्ष को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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