प्रतापगढ़ प्रमोद तिवारी ने बताई मारपीट मामले की शुरू से अंत तक की पूरी कहानी, कैसे और क्यों हुआ बवाल

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी के बीच हुए मारपीट की घटना की चर्चा प्रदेश भर मे व्याप्त है । ऐसे में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सफाई देते हुए घटना की पूरी कहानी बताई।
प्रतापगढ़  प्रमोद तिवारी ने बताई मारपीट मामले की  शुरू से अंत तक की पूरी कहानी, कैसे और क्यों हुआ बवाल

लखनऊः कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने पिछले दिनों प्रतापगढ़ में हुई मारपीट की घटना को लेकर बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता और उनके समर्थकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं | उन्होंने सफाई दी है कि इस घटना में मेरा कोई हाथ नहीं था, न तो भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता की पिटाई हुई है। उन्होंने कहा कि मेरे और मेरे समर्थकों ने सांसद का किसी भी प्रकार से कोई अपमान नहीं किया है, बल्कि मंच पर मौजूद विधायक आराधना मिश्रा ने तो उन्हें अपनी कुर्सी तक ऑफर की।

वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि 

मैंने तीन वीडियो रिलीज किए और वह सभी को भेजे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि सांसद संगम लाल गुप्ता को 12 बजे आना था, लेकिन वह लगभग 2:30 बजे मंच पर आए. वह सरकारी कार्यक्रम था। विधायक आराधना मिश्रा ने दीप जलाकर कार्यक्रम प्रारंभ किया था। कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था तब तक सांसद आ गए। अधिकारियों ने उन्हें रुकने को कहा, लेकिन वह नहीं रुके।

उन्होंने कहा कि वीडियो में दिखाई पड़ रहा है कि कैसे संगम लाल के समर्थक मंच पर आ जाते हैं, उस मंच पर कुल सात आठ ही कुर्सियां पड़ी थीं। आराधना मिश्रा ने उन्हें सम्मान के तौर पर अपनी कुर्सी भी ऑफर की। मैंने भी शिष्टाचार प्रणाम किया. तब तक उनके साथ आया अभिषेक पांडेय जिनके ऊपर कई गंभीर आरोप हैं उन्होंने विवाद शुरू कर दिया।

मुझ पर आज तक एक भी मुक़दमा नहीं, अब की जा रही छवि भूमिल करने की कोशिश

प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस आदमी के ऊपर एक साधारण दफा का मुकदमा न हो उस पर अब कई मुकदमे दर्ज हो रहे हैं | मेरे बेदाग इतिहास पर ये कलंक है. 307 की धारा लगाना कहां से उचित है? जब मैंने संगम लाल गुप्ता से खुद पूछा कि आपके कपड़े क्या उस घटना में फटे? उन्होंने खुद स्वीकार किया कि नहीं |तब मैं पूछना चाहता हूं कि फिर फटे कपड़ों को लेकर टीवी पर क्यों बयान दे रहे हैं | उन्होंने खुद अपनी शर्ट फाड़ी या फड़वाई |कुल मिलाकर मंच पर उनके साथ कोई हादसा नहीं हुआ |

भीड़ ने तोडा माइक

प्रमोद तिवारी ने बताया कि अधिकारियों के रोकने के बाद भी वे मंच पर क्यों आए? उस कार्यक्रम में जिला पंचायत, ब्लॉक प्रमुख, विधायक और मेरे लिए कुर्सियां आरक्षित थीं |14 लोग मंच पर चढ़ा कर उन्होंने सरकारी माइक तोड़ दी | भला यह कहां से सही है? उत्तेजित भीड़ ने ओमप्रकाश पांडेय को मारा न कि सांसद संगम लाल गुप्ता को |मेरा सवाल है जब उन्हें 12 बजे आना था तो ढाई घंटे लेट क्यों आए? हमने तो इन्हें सम्मान दिया, माला पहनवाई. एक एफआईआर लिखाते तो ठीक था. 27 कार्यकर्ताओं के नाम लिखे गए |

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