उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी मोड में आ चुके हैं। इन दिनों वे राज्य के विभिन्न इलाक़ों का दौरा कर रहे हैं। इसी सिलसिले में आठ अगस्त को योगी आदित्यनाथ आगरा के फ़तेहाबाद रोड पर स्थित एसएनजे गोल्ड रिज़ॉर्ट में कोरोना वॉरियर्स डॉक्टरों को सम्मानित करने आए थे। उनके इस कार्यक्रम के दौरान पुलवामा हमले में 14 फ़रवरी, 2019 को मारे गए स्थानीय सैनिक कौशल कुमार रावत की विधवा अपने बेटे के साथ कुछ माँगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुँचीं।
परिवार का कहना है कि वे लोग मुख्यमंत्री से राज्य सरकार की ओर से ड्यूटी के दौरान मृतक सैनिकों को दी जाने वाली आर्थिक सुविधाएं अब तक नहीं मिलने की शिकायत के साथ अपनी कुछ माँगें मुख्यमंत्री के सामने रखना चाहते थे। मृतक सैनिक की पत्नी और बेटे का आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से मुलाक़ात तो दूर आयोजन स्थल से क़रीब सौ मीटर पहले ही सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया और इसके बाद लगभग दस घंटे तक उन लोगों को हिरासत में रखा गया।
इसके अगले दिन यानी नौ अगस्त को ज़िला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित कहरई गांव स्थित अपने घर पर ममता रावत लगातार रोती हुई मिलीं। वे कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थीं। उनके बेटे अभिषेक रावत ने बताया, "हम लोग मुख्यमंत्री जी से मिलकर उन्हें बताना चाहते थे कि स्मारक के लिए अभी तक हमें ज़मीन नहीं मिली है। इसके अलावा हम घर बनाने के लिए 137 गज़ ज़मीन और भरण-पोषण के लिए पाँच बीघे ज़मीन की माँग भी कर रहे हैं। इन्हीं माँगों के साथ हम योगी जी से मिलना चाहते थे।"
वैसे राज्य सरकार की ओर से मृतक सैनिक को केवल स्मारक बनाने के लिए ज़मीन दिए जाने का प्रावधान है, ऐसे में पाँच बीघा ज़मीन और घर बनाने के लिए ज़मीन माँगे जाने की वजहों के बारे में अभिषेक रावत दावा करते हैं, "पुलवामा हमले में यूपी से सीआरपीएफ़ के 12 सैनिक मारे गए थे, जिनमें से 11 सैनिकों के परिवारों को यह सब मिला है, लेकिन हमें नहीं मिला है।"
बीबीसी हिंदी से पुलवामा हमले में मारे गए यूपी के एक अन्य परिवार ने नाम ना ज़ाहिर करने पर बताया, "पाँच बीघा ज़मीन की कोई बात है नहीं, सब हवा हवाई बो रहे हैं, लेकिन एक स्मारक और पार्क बनाने की घोषणा ज़रूर हुई थी, पर वह अभी तक नहीं बन पाया है।"
पाँच बीघे ज़मीन की बात में हो सकता है कि कोई ग़लतफ़हमी हो, लेकिन इस परिवार को इस बात का दुख ज़्यादा है कि मुख्यमंत्री से मिलने के बजाए उन्हें 10 घंटे तक हिरासत में रखा गया। मृतक सैनिक कौशल कुमार रावत के बेटे 22 साल के अभिषेक रावत ने बताया, "पुलिसकर्मियों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से 100 मीटर दूर हमें हिरासत में ले लिया। मुझे ज़बर्दस्ती पुलिस की गाड़ियों में बिठाकर थाना हरि पर्वत ले जाया गया जबकि मेरी मां को महिला थाना रक़ाबगंज ले गए।"
अभिषेक ने बताया, "कुछ घंटे वहां रखने के बाद वे मुझे सिकंदरा थाने ले गए। वहां भी घंटों बिठाए रखा। मेरी मां को तीन बजे तक रक़ाबगंज महिला थाने में रखा गया। फिर हमें सर्किट हाउस लाया गया और एक पुलिस वाले ने कहा कि मुख्यमंत्री जी से आपकी मुलाक़ात करा देंगे। हमारे बार-बार पूछने पर कहा गया कि आपको एयरपोर्ट पर मिलवा देंगे।"
अभिषेक कहते हैं, "हमको एयरपोर्ट पर पुलिस की गाड़ियों में ले जाया गया, लेकिन पुलिस के जवानों के साथ गाड़ी में ही लॉक रखा गया। पाँच बजे के क़रीब मुख्यमंत्री जब चले गए तब पुलिस ने दो घंटे तक वैसे ही हिरासत में रखा और रात के आठ बजे हमें घर छोड़ा। मुझे ऐसा लग रहा था कि हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।"
इस पूरे मामले पर आगरा के एसएसपी मुनिराज जी। ने बताया, "यह घटनाक्रम हमारी जानकारी में नहीं है, यह प्रशासनिक स्तर से जुड़ा मामला है। जहां तक शहीद के परिजनों को पुलिस द्वारा थाने में बिठाने की बात है तो यह सब मौक़े पर मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात एसडीएम के आदेश पर पुलिसकर्मियों ने अमल किया।"