राफेल डील में भ्रष्टाचार की बू अब प्रधानमंत्री तक पहुंच गई है।
सुप्रीम कोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाए,
जाने को लेकर एक पीआईएल (जनहित याचिका) दायर की गई है।
याचिका मनोहर लाल शर्मा नाम के व्यक्ति की तरफ से दायर की गई है।
याचिका में कथित भारतीय बिचौलिए,
सुषन गुप्ता के खिलाफ भी ऐसे ही मुकदमे दर्ज करने की मांग की गई है।
शर्मा की तरफ से अदालत की देखरेख में सीबीआई जांच की मांग की गई है।
इस मुद्दे पर अदालत दो हफ्ते के बाद सुनावाई करेगा।
टेलीग्राफ की खबर के अनुसार याचिका छह अप्रैल को ही डाली गई थी,
लेकिन मनोहर लाल शर्मा ने इसे रविवार को सार्वजनिक किया है।
इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि फ्रांस के मीडिया पोर्टल मीडियापार्ट ने दावा किया था कि भारत के प्रवर्तन निदेशालय ने सुशेन गुप्ता नाम के एक दलाल को दसॉ और उसकी सहायक कंपनियों की तरफ से दी गई रकम की जांच की ही नहीं थी।
इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि इस पूरे लेन-देन को गिफ्ट टू क्लाइंट की संज्ञा दी गई।
अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे, तो इसे गिफ्ट क्यों कहा गया?
क्या ये छिपे हुए ट्रांजैक्शन का हिस्सा था।
सच्चाई सबके सामने आ गई। ये हम नहीं, फ्रांस की एक एजेंसी कह रही है।
उन्होंने सरकार से 5 सवाल भी किए थे-
1.1 मिलियन यूरो के जो क्लाइंट गिफ्ट दैसो के ऑडिट में दिखा रहा है, क्या वो राफेल डील के लिए बिचौलिये को कमीशन के तौर पर दिए गए थे?
जब दो देशों की सरकारों के बीच रक्षा समझौता हो रहा है, तो कैसे किसी बिचौलिये को इसमें शामिल किया जा सकता है?
क्या इस पूरे मामले की जांच नहीं की जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि डील के लिए किसको और कितने रुपए दिए गए?