डेस्क न्यूज. राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी प्रदेश की गहलोत सरकार पर मंत्रालय और सलाहकारों जैसी नियुक्तियों पर सवाल उठ रहे हैं। इसी कड़ी में विपक्ष ने सरकार में 6 विधायकों के मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाने का मुद्दा उठते हुए इसे अवैध बताया हैं‚ इस पूरे मामले में विपक्ष के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जो सलाहकार के पद कांग्रेस पार्टी ने अपने निजी लाभ के लिए इजाद किए हैं उसका जनता से कोई सीधा सरोकार नहीं है। जबकि सरकार लोकतांत्रिक रूप से चलती है। लेकिन प्रदेश में मौजूदा कांग्रेस सरकार सत्ता में बने रहने के लिए अवैध नियुक्तियां कर रही है।
विपक्ष के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के अनुसार मुख्यमंत्री के सलाहकारों की नियुक्ति एवं संसदीय सचिवों की संभावित नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए), 191 (1)(ए) एवं अनुच्छेद 246 के प्रावधानों तथा उच्चतम न्यायालय एवं आधा दर्जन उच्च न्यायालयों के निर्णयों का उल्लंघन करते हुए बताई गई है।
राठौड़ ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि संकट के समय मुख्यमंत्री ने एक फाइव स्टार होटल में अपने विधायकों की बंदी कर दी थी। जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ा। अब वादों को पूरा करने के लिए 6 सलाहकारों को अवैध रूप से नियुक्त कर दिया गया है। इसके साथ ही कुछ लोगों को संसदीय सचिव बनाने की कवायद भी तेज कर दी गई है। सलाहकारों की राजनीतिक नियुक्ति और संसदीय सचिवों की नियुक्ति संवैधानिक रूप से गलत है। राठौड़ ने सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न अदालतों के आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि जब कई राज्यों ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति की तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने रविवार को कांग्रेस विधायक डॉ जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा और दानिश अबरार और निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर, संयम लोढ़ा, रामकेश मीणा को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया. सरकार 15 विधायकों को संसदीय सचिव भी बना सकती है।
एक चैनल से बातचीत के दौरान विपक्ष के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एक सलाहकार पर महीने के सभी खर्च लगाकर 20 लाख रूपये खर्च होगें, इस आंकडे की माने तो 6 सलाहकारों पर सरकार महीने में 1 करोड़ 20 लाख रूपये का वहन करेगी.