कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपनी भारत जोड़ो यात्रा लेकर मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन इससे पहले ही राजस्थान कांग्रेस में भूचाल आ गया है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत की आपसी कलह खुलकर सामने आ गई है। बयानबाजी से माहौल गर्मा गया है। अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से हटने और सीएम पद को लेकर लंबे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है। साथ ही गहलोत ने सितंबर के सियासी घटनाक्रम को लेकर एक बार फिर पायलट की 2020 की बगावत को याद करते हुए सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
गहलोत ने 2020 में पायलट के बागी होने के दौरान उनके गुट की बीजेपी से मिलीभगत होने के साथ करोड़ों के लेनदेन की बात कही है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गहलोत ने कहा है कि कि पायलट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रची थी। वहीं राजस्थान में सीएम बदलने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि जिसके पास 10 विधायक हैं उसको सीएम कैसे बनाया जा सकता है, उसे कोई स्वीकार नहीं करेगा, इसलिए ही विधायकों ने सितंबर में अपनी मर्जी से बगावत कर ली थी। गहलोत ने कहा कि जिसने पार्टी से गद्दारी की हो उसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
वहीं पूरे इंटरव्यू के दौरान गहलोत शुरूआत में पायलट पर हमलावर दिखाई दिए लेकिन बीच में आते आते उनके तेवर नरम पड़ गए। आखिर में गहलोत ने पायलट को दरकिनार करने के सवाल पर चुप्पी साध ली। आइए आपको बताते हैं कि गहलोत ने पायलट को लेकर कैसे अपने सुर बदलते रहे। इस दौरान गहलोत ने किसी तीसरे के सीएम बनने पर भी सहमति दी।
गहलोत ने कहा कि 2020 में जिसके कारण हम विधायकों के साथ 34 दिन होटल में बैठे रहे, मानेसर के होटल में सरकार गिराने की साजिश रची गई। गहलोत ने कहा सरकार में डिप्टी सीएम और पार्टी के अध्यक्ष रहते हुए पायलट ने बीजेपी से हाथ मिलाया। उन्होंने कहा कि पायलट की उस बगावत का गुस्सा विधायकों के मन में भरा है जिसका नतीजा 25 सितंबर को देखने को मिला।
वहीं आलाकमान के कहने पर विधायक दल की बैठक आयोजित करने को लेकर गहलोत ने कहा कि हमने 34 दिन भुगते हैं, ऐसे में हाईकमान पायलट को सीएम कैसे बना सकता है। गहलोत ने कहा कि आलाकमान उस आदमी को मुख्यमंत्री कैसे बना सकता है और जनता उसको कैसे स्वीकार कर सकती है जिसके पास 10 विधायक हैं। गहलोत ने सीधे आरोप लगाया कि बगावत के दौरान 10 करोड़ रुपये बांटे गए हैं, बीजेपी के दिल्ली दफ्तर से पैसे उठाए गए हैं और उस दौरान पैसों के लेनदेन के मेरे पास सबूत हैं।
गहलोत ने इसके बाद कहा कि पायलट को 2020 की बगावत के लिए राजस्थान की जनता से, विधायकों से माफी मांगनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि अगर वह माफी मांग लेते तो आज यह नौबत नहीं आती। गहलोत ने कहा कि 25 सितंबर का घटनाक्रम सीधे तौर पर पायलट के खिलाफ बगावत था।
गहलोत ने राजस्थान में आगामी चुनावों को लेकर कहा कि हम सरकार बनाने जा रहे हैं और लोग हमारी योजनाओं के बारे में बात कर रहे हैं। वहीं सूबे में चेहरा बदलने के कयासों पर पहली बार गहलोत ने कहा कि आलाकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा।
वहीं गहलोत ने पायलट के अलावा किसी और को सीएम बनाने पर कहा कि राजस्थान में 102 विधायक हैं, हाईकमान उनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री बना सकता है। इसके अलावा गहलोत ने कहा कि अगर चेहरा बदलने से हम 2023 में चुनाव जीत सकते हैं तो हाईकमान चेहरा बदल सकता है लेकिन पायलट को सीएम बनाना स्वीकार नहीं है।
गहलोत ने आखिर में अपनी भावना जाहिर करते हुए कहा कि वह राजस्थान के 3 बार सीएम रह चुके हैं और अब अगर आलाकमान कोई सर्वे करवाता है कि किस चेहरे से राजस्थान में सरकार आती है तो मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ने में कोई परेशानी नहीं है।
वहीं पायलट को दरकिनार करने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि हमारे दोनों के मतभेद इतने कैसे बढ़ गए, इसकी वजह तो मुझे भी पता नहीं है। बता दें कि आखिर में गहलोत ने कहा कि मैंने कभी पायलट को साइडलाइन नहीं किया। वहीं आने वाले दिनों में राजस्थान के सियासी हालातों और पायलट से मतभेदों पर गहलोत ने कहा कि वो हमारे दोनों के बीच की बात है, हम देख लेंगे।
सीएम अशोक गहलोत का बयान सामने आने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि ये सारे आरोप निराधार हैं। गहलोत साहब ने पहले भी मुझे नाकारा कहा, गद्दार कहा है। अशोक गहलोत अनुभवी नेता हैं। उन्हें सलाह कौन देता है? वे इस तरह का बचकाना बयान न दें। पूर्व डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि अशोक गहलोत के रहते पार्टी दो बार चुनाव हारी है। उन्हें इतना असुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए और साथ मिलकर काम करना चाहिए। पायलट ने कहा कि सबको एक ना एक दिन कुर्सी खाली करनी पड़ती है। गहलोत और पायलट की जुबानी जंग ऐसे वक्त में हो रही है जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने वाली है।