राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स महुआ के फूलों से बनने वाली शराब बेचेगी, आदिवासी बेल्ट से फूलों की खरीद शुरू, अवैध शराब के कारोबार में आएगी कमी

राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स (RSGSM) अब महुआ के फूलों से तैयार शराब की बिक्री करेगी। इसके लिए आदिवासी बेल्ट एरिया से महुआ के फूलों की खरीद भी शुरू हो गई है. ये फूल 80 रुपये किलो बिक रहे हैं। जीएसएम के इस फैसले से आदिवासी क्षेत्र में अवैध शराब के कारोबार को रोकने का प्रयास किया जाएगा। अवैध धंधे से जुड़े लोगों की आजीविका बढ़ाने और आर्थिक मदद करने में भी मदद मिलेगी। यह शराब राज महुआ के नाम से बेची जाएगी।
राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स महुआ के फूलों से बनने वाली शराब बेचेगी, आदिवासी बेल्ट से फूलों की खरीद शुरू, अवैध शराब के कारोबार में आएगी कमी

राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स (RSGSM) अब महुआ के फूलों से तैयार शराब की बिक्री करेगी। इसके लिए आदिवासी बेल्ट एरिया से महुआ के फूलों की खरीद भी शुरू हो गई है. ये फूल 80 रुपये किलो बिक रहे हैं। जीएसएम के इस फैसले से आदिवासी क्षेत्र में अवैध शराब के कारोबार को रोकने का प्रयास किया जाएगा। अवैध धंधे से जुड़े लोगों की आजीविका बढ़ाने और आर्थिक मदद करने में भी मदद मिलेगी। यह शराब राज महुआ के नाम से बेची जाएगी।

महुआ के पेड़ प्रतापगढ़, बारां, राजसमंद, बारां जिलों में बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं

महुआ के पेड़ प्रतापगढ़, बारां, राजसमंद, बारां जिलों में बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। यहां स्थानीय लोग इन पेड़ों पर लगे फूलों से कच्ची शराब बनाते और बेचते हैं। इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में राजस्थान अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक हुई थी. इसमें महुआ के फूल खरीदकर उससे महुआ शराब बनाने व बेचने का निर्णय लिया गया।

शराब बनाने का तरीका भी आदिवासियों की तरह होगा।

आदिवासी इलाकों में महुआ शराब का खूब सेवन होता है। महुआ बेचने के अवैध धंधे में यहां के स्थानीय लोग शामिल हैं। आबकारी विभाग द्वारा समय-समय पर यहां कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन पूरे अवैध कारोबार को बंद या रोकना संभव नहीं है। इसे देखते हुए आबकारी विभाग ने इस फूल की शराब बनाकर बेचने का फैसला किया है. यह शराब भी उसी तरह बनाई जाएगी जैसे आदिवासी बनाते हैं। महुआ के फूलों को जमीन में गाड़ने के बाद फूल सड़ जाएंगे, फिर भट्टी में उबाले जाएंगे। आदिवासी फूलों को सड़ने के लिए कुछ मात्रा में गुड़ मिलाते हैं, लेकिन जीएसएम केवल स्पिरिट मिलाएगा। सिर्फ जगह बदलेगी, यह शराब जंगल की जगह गंगानगर शुगर मिल में बनेगी।

देशी शराब से सस्ती होगी

इसका रेट अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि इसकी कीमत फिलहाल बिक रही देशी शराब से कम रखी जाएगी. यह पूरी कवायद महुआ शराब को अवैध रूप से बनाने पर रोक लगाने और इसे वैध बनाने के लिए की जा रही है. जीएसएम के सलाहकार अनिल कुमार सिंह ने बताया कि आदिवासी इलाकों में अवैध शराब पर नियंत्रण, आदिवासियों को रोजगार देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया जा रहा है.

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