तारपीन फैक्ट्री में भीषण आग से 3 बच्चों सहित 4 लोग जिंदा जले, मौत

जमवारामगढ़ के धुलारावजी गांव में तारपीन की फैक्ट्री में रविवार को लगी आग ने बरपाया कहर
तारपीन फैक्ट्री में भीषण आग से 3 बच्चों सहित 4 लोग जिंदा जले, मौत

Dainik Bhaskar

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तारपीन की फैक्ट्री में लगी भीषण आग में 3 बच्चों समेत चार लोग जिंदा जल गए। आग बुझाने की कोशिश में अंदर घुसी सिविल डिफेंस की टीम को सामने भयावह मंजर देखने को मिला। एक युवक के सीने से दो बच्चे चिपके मिले। सभी जिंदा जल गए। जिसके बच्चे उसके सीने से चिपके हुए थे। जब तफ्तीश की गई तो पता चला कि वो बच्चों का चाचा रमेश था जिससे बच्चें चिपके हुए थे। वह एक लड़की को सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहा, लेकिन जब वह दूसरी बार अंदर गया तो लौट नहीं पाया। 3 भतीजे आग में फंस गए। उन्हें बचाने के लिए रमेश धधकती आग की परवाह किए बगैर फैक्ट्री में घुस गया था।

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धमाकों के साथ सिलेंडर फटा
फैक्ट्री के अंदर गैस सिलेंडर भी रखे हुए थे। आग की वजह से जोरदार धमाकों के साथ सिलिंडर भी फट गए। आग लगने की सूचना पर रविवार सुबह सिविल डिफेंस के 11 सदस्य, दमकल की 8 गाड़ियां पहुंचीं. आग बुझाने और उसे बुझाने में करीब 5 घंटे का समय लगा। आग बुझाने के लिए जेसीबी से फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी गई।
यह दिल दहला देने वाली घटना जयपुर शहर से करीब 27 किलोमीटर दूर जमवारामगढ़ के धुलारावजी गांव की है। तारपीन की फैक्ट्री में रविवार सुबह नौ बजे आग लग गई। हादसे के 15 घंटे बाद भी वहां रखा सामान सुलग रहा था। हादसे में मालिक की पत्नी बुरी तरह झुलस गई। जयपुर ग्रामीण एसपी मनीष अग्रवाल ने कहा कि एफएसएल की टीम सोमवार को मामले की जांच कर सबूत जुटाएगी। फैक्ट्री करीब पांच साल से चल रही थी। शंकरलाल ने खेत में ही घर के पास टिन शेड लगाकर अवैध रूप से फैक्ट्री बना ली थी। कारखाने के रसायनों को टिन के छोटे-छोटे बक्सों में भरकर आसपास के क्षेत्रों में आपूर्ति की जाती थी। फैक्ट्री में कुछ मजदूर भी काम करते थे। रविवार होने के कारण वह आज नहीं आया।

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रमेश के सीने से चिपके हुए थे दोनों बच्चे
हॉल में एक बड़ा कमरा एक कारखाने के रूप में था। उसके अंदर एक केमिकल रखा हुआ था। रमेश अंदर पहुंचा तो आग फैलनी शुरू हो गई। वह जल्दी से अपनी भतीजी जिया को उठाकर बाहर ले गया। उसे बाहर छोड़कर उसने अंकुश और दिव्या को अंदर से उठा लिया। तभी सामने के दरवाजे में आग लग गई। आग पूरी तरह फैल गई। रमेश भी आग की चपेट में आ गया। सिविल डिफेंस टीम ने रमेश और दोनों बच्चों को दरवाजे की चौखट पर ही पाया। दोनों सीने से चिपके हुए थे।
फैक्ट्री में खेल रहे थे बच्चे
रविवार होने के कारण शंकरलाल काम के लिए बाहर गए थे। घर पर केवल उनकी पत्नी पार्वती, भाई और परिवार के बच्चे थे। बच्चे फैक्ट्री के अंदर गए और खेलने लगे। तभी डिब्बे से केमिकल छलककर उसमें आग लग गई। धीरे-धीरे आग जलने लगी। बच्चे हॉल के अंदर थे। आग लगते ही बच्चे दहशत में आ गए। फैक्ट्री मालिक का भतीजा रमेश घर के बाहर खड़ा था। आग लगते ही वह फैक्ट्री की ओर भागा।

सभी की आंखों से आंसू छलक पड़े

रमेश और दोनों बच्चों को देख सभी की आंखों से आंसू छलक पड़े। अंदर गरिमा का शव अलग पड़ा हुआ था। सिविल डिफेंस के एक सदस्य महेंद्र ने कहा कि बच्चे 70 प्रतिशत तक जल गए हैं। आग देखकर परिजन भी पहुंच गए। आग में गरिमा, अंकुश, दिव्या और रमेश की मौत हो गई है। वहीं जिया और पार्वती काफी झुलसी हुई हैं।

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