क्या पुलिस कांस्टेबल क्या REET, प्रदेश में होता हर पर्चा लीक

प्रदेश में एक बार फिर से एक और पर्चा लीक हो गया है। लगता है ये भर्ती की नयी परंपरा है
ये तस्वीर सिंधी कैंप की है, लाखो अभ्यर्थियों की तरह ये भी भीषण गर्मी, भूख प्यास से जूझते हुए पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा देने आये थे। परीक्षा दी भी लेकिन पेपर लीक हो गया। अब इस बात को लेकर प्रशासन पर जितनी लानते भेजी जाए उतनी कम है।
ये तस्वीर सिंधी कैंप की है, लाखो अभ्यर्थियों की तरह ये भी भीषण गर्मी, भूख प्यास से जूझते हुए पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा देने आये थे। परीक्षा दी भी लेकिन पेपर लीक हो गया। अब इस बात को लेकर प्रशासन पर जितनी लानते भेजी जाए उतनी कम है।

हाल ही में कांस्टेबल के पद पर भर्ती के लिए हुए पेपर लीक हो गए। हालांकि सबसे खास बात इस दौरान ये देखने को मिली की आमजन को इस पर बहुत अधिक आश्चर्य नहीं हुआ और इसके पीछे की वजह ये है की आमजन इस बात को लेकर आश्वस्त थे की साहब हमारी जो व्यवस्था है वो निहायती निकम्मी है। नोट की कुछ गड्डियों को देखकर पेपर तो क्या अपनी जान भी एक बार को न्योछावर करने को तैयार हो जाएंगे।

सिक्योरिटी के नाम पर प्रशासन ने कुछ ऐसी सख्ती भी दिखाई थी
सिक्योरिटी के नाम पर प्रशासन ने कुछ ऐसी सख्ती भी दिखाई थी Image Source: India Today

बहरहाल, सबसे खास बात इस दौरान ये है की ये बात अगर आप सरकारी अमले के बीच या खुद सरकार के सामने भी कह देंगे तो वे बडे़ ही नकटाई से इस बात को नकार देंगे। और कभी कभी ऐसा होत है और पुलिस या सरकार ऐसे अपराधीयों को उचित दंड देगी। और आप भी समझ जाऐंगे की आपको मूर्ख बना दिया गया है।

पिछले 4 सालों में प्रदेश की 7 भर्तीया विवादों में रहीं, जिनमें से हाल ही में हुई रीट की परीक्षा भी शामिल है, इसके अलावा जेईएन औऱ लाइब्रेरियन भर्ती में भी पेपर आउट के मामले सामने आए, तो वहीं पटवारी भर्ती में डमी अभ्यर्थी के चलते,चिकित्सा भर्ती तकनीकि खामी के चलते और फार्मासिस्ट भर्ती तो सरकार के मर्जी के चलते निरस्त की गई।

कुछ गिरफ्तारियां भी हुई है
कुछ गिरफ्तारियां भी हुई है

यहाँ ये बात आपको मालूम होनी चाहिए की प्रदेश सरकार फॉर्म वसूली के नाम पर करोडो रुपये कमाती है। जी हाँ, नजर घुमाएंगे तो मालूम चलेगा की प्रदेश में फॉर्म भरने की फीस देश के अन्य राज्यों से काफी ज्यादा है। इसके बावजूद भी परीक्षा का सुनियोजित ढंग से आयोजन करवाना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है।

राज्यों को परीक्षा कैसे आयोजित करी जाए इसको लेकर UGC का अनुसरण करना चाहिए, वैसे जिस तरह के मौजूदा हालात है, उसके बाद तो उसे UGC से बाकायदा ट्रेनिंग ही ले लेनी चाहिए। हालाँकि सबसे कमाल की बात ये है की राज्य सरकार द्वारा आयोजित होने वाले सभी तरह के पेपर पर ऐसे आरोप हमेशा ही लगते रहते है और कभी कभी तो साबित भी हो जाते है, लेकिन सरकारों में आंतरिक रूप से सुधरने की प्रवृत्ति ही गायब रहती है और संभवतः यही बात है की वे चाहते ही नहीं की भर्ती बेहतर और पारदर्शी ढंग से करी जाए।

ये तस्वीर सिंधी कैंप की है, लाखो अभ्यर्थियों की तरह ये भी भीषण गर्मी, भूख प्यास से जूझते हुए पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा देने आये थे। परीक्षा दी भी लेकिन पेपर लीक हो गया। अब इस बात को लेकर प्रशासन पर जितनी लानते भेजी जाए उतनी कम है।
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यहाँ ये बात भी गौर करने लायक है की एक बार को अन्य परीक्षाओ को छोड़ कर केवल REET और पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षाओ पर भी नजर डाली जाए तो मालूम चलेगा की ऐसे छात्र यदि नौकरी हासिल कर भी लेते तो क्या करते। जाहिर सी बात है लाखो रुपये देकर पेपर हासिल करने वाले पद प्राप्ति होने के बाद अपने ROI(Return on Investment) पर काम करते और जमकर के रिश्वतखोरी जैसे काम को अंजाम देते। ऐसे शिक्षक और खाकी जवानो पर तो वैसे भी लानत है। और लानत है उस संस्था पर भी जिसे पेपर कैसे आयोजित करवाया जाता है इसका ही अंदाजा नहीं।

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