Privatisation: रोडवेज बस अड्डाें से प्राइवेट बसें चलाने की तैयारी

केंद्र सरकार का विरोध करने वाली गहलोत सरकार खुद निजीकरण कर रही है। जयपुर के सिंधी कैंप सहित चार स्थानों की जमीन प्राधिकरण को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
Privatisation: रोडवेज बस अड्डाें से प्राइवेट बसें चलाने की तैयारी
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राज्य सरकार ने बस अड्डों का निजीकरण करने के बाद अब राजस्थान रोडवेज के बस अड्डों से निजी बसें भी संचालित करने की तैयारी कर ली है। रोडवेज के सबसे बड़े केंद्रीय बस स्टैंड सिंधी कैम्प सहित शहर में चार स्थानों पर मौजूद जमीन का स्वामित्व राजस्थान राज्य बस टर्मिनल विकास प्राधिकरण को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

परिवहन विभाग बजट घोषणा (सिंधी कैम्प को इंटीग्रेटेड बस स्टैंड व चार सैटेलाइट बस स्टैंड बनाने) को पूरा करने के नाम पर प्राधिकरण को फिर से अस्तित्व में ला रहा है। इन सभी बस स्टैंड का संचालन प्राधिकरण के अधीन ही किया जाएगा। इन बस अड्डों से रोडवेज के साथ-साथ निजी बसें भी चलाई जाएंगी। इस संबंध में मुख्य सचिव स्तर पर 26 जुलाई को बैठक प्रस्तावित है।

2015 में हुआ था भाजपा का विरोध

सात वर्ष पहले भाजपा सरकार ने भी यही प्रक्रिया शुरू की थी। रोडवेज को बस अड्डों के एवज में करीब 300 करोड़ रुपए दिए गए और उनसे सम्पत्तियां मांगी गई। लेकिन रोडवेज कर्मचारियों द्वारा इसका जमकर विरोध किया था।

ये सम्पत्तियां प्राधिकरण को सौंपने की तैयारी

● सिंधी कैम्प : 29680 वर्गमीटर

● सीकर रोड : 6050 वर्गमीटर

● टोंक रोड (बी टू बाइपास के पास) : 15500 वर्गमीटर

● आगरा रोड (घाट की गुणी टनल के पास) : 5500 वर्गमीटर

भाजपा ने किया था प्राधिकरण का गठन

भाजपा सरकार ने साल 2015 में प्राधिकरण का गठन किया था। इसके बाद रोडवेज को घाटे से उबारने के नाम पर रिफॉर्म एजेंडा लागू कर रोडवेज की सम्पत्तियां बस अड्डा प्राधिकरण को सौंपने का निर्णय किया गया। रोडवेज कर्मचारी हाईकोर्ट से स्टे ले आए और सम्पत्तियां ट्रांसफर नहीं हो सकी थीं।

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