Jaipur Foundation Day: जयपुर की एक ऐसी गली जो गुलाबी नहीं आमेरी पीली रंग में हैं रंगी

गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर की गलियां गुलाबी नहीं बल्कि पीली हुआ करती थी। शहर को रजवाड़ा रंग में रंगे देखना हो तो किशनपोल और चौड़ा रास्ता के बीच बने राजा शिवदीन का रास्ता देख सकते है। आज हम जयपुर के स्थापना दिवस के मौके पर ऐसे ही जुड़े कुछ चीजें बताने जा रहे हैं। इन जगहों पर बसे एक किलोमीटर के हेरिटेज वॉक-वे को पुराने रंग में लौटाया गया है।
Jaipur Foundation Day: जयपुर की एक ऐसी गली जो गुलाबी नहीं आमेरी पीली रंग में हैं रंगी
Jaipur Foundation Day: जयपुर की एक ऐसी गली जो गुलाबी नहीं आमेरी पीली रंग में हैं रंगी

गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर की गलियां गुलाबी नहीं बल्कि पीली हुआ करती थी। शहर को रजवाड़ा रंग में रंगे देखना हो तो किशनपोल और चौड़ा रास्ता के बीच बने राजा शिवदीन का रास्ता देख सकते है।

आज हम जयपुर के स्थापना दिवस के मौके पर ऐसे ही जुड़े कुछ चीजें बताने जा रहे हैं। इन जगहों पर बसे एक किलोमीटर के हेरिटेज वॉक-वे को पुराने रंग में लौटाया गया है। यहां उसी जयपुर के दर्शन होंगे जो सवाई जयसिंह की परिकल्पना थी।

वो जयपुर नहीं जिसे गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं जयपुर में 14 साल में बनकर तैयार हुए हेरिटेज वॉक-वे की, जो जयपुरी पीले रंग से चमक रहा है।

अजायबघर का रास्ता के मकानों से पूर्व में झांकने पर पीले व पश्चिम की तरफ झांकने पर गुलाबी रंग में जयपुर को देखा जा सकता है।

जयपुर का रंग था पीला

हकीकत में जयपुर का रंग पीला ही है, जिसे 147 साल बाद गेरुआ लाल रंग में बदल दिया गया और यह बदलाव तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह के निर्देश पर किया गया।

यह बदलाव वर्ष 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के जयपुर आने से पहले किया गया। गौरतलब है कि 31 मार्च 2006 में ब्रिटेन के प्रिंस चा‌र्ल्स जब जयपुर आए थे तो वे इसी रास्ते में आधे घंटे तक घूमे और यहां की कला को देखकर अभिभूत थे।

तभी से इस रास्ते को हेरिटेज वॉक-वे नाम दिया गया। वॉक-वे पर करीब 4 करोड़ रु. खर्च किए गए हैं।

कहां से कहां तक हेरिटेज वॉक-वे

चौड़ा रास्ता से फिल्म कॉलोनी, नानगा ठठेरे की गली, ठठेरों का रास्ता, नाटाणियों का रास्ता, आरोग्य सदन के सामने संघी जी की गली, सकरी गली, मनिहारों का रास्ता, पंडित शिवदीन जी का रास्ता और किशनपोल बाजार में राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के सामने तक।

ऐसे बना जयपुर हेरिटेज

स्वरूप वॉक-वे से गुजरने हुए रियासत कालीन कला, पुरानी हवेलियां, बाजार व चारदीवारी का वॉटर सिस्टम और तब की सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था को दर्शाया गया है।

इसमें रियासत कालीन पत्थरगढ़ी की गई है, जिसमें कोबल स्टोन लगाए गए हैं और पुरानी डिजाइन के लैंप लगे हैं।

पुरानी इमारतों पर फसाड वर्क की गई है, जिसे जयपुर का हवेली वर्क भी कहा जाता है। बैठने के लिए आरामदायक कुर्सियां हैं। प्याऊ और चौपाटी भी बनाई जा रही है।

हवेलियों व जयपुरी शिल्प और जयपुरी फाइन आर्ट को देखा जा सकता है। वॉक-वे में मानचित्र के साथ जयपुर और चौकड़ी मोदीखाना, हस्तशिल्प और म्यूजिक यंत्र का इतिहास, फ्रेस्को पेंटिंग,

चारदीवारी में कुएं व वाटर सिस्टम, पुरानी पद्धति पर गैस लैंप का सिस्टम, दीवान शिवदीनजी की हवेली का प्लान के साथ इतिहास, किशनपोल बाजार का इतिहास, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की जानकारी देखने को मिलेगी।

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