घाटारानी माता का मंदिर शाहपुर भीलवाड़ा के जहाजपुर कस्बे से करीब 10 किलो मीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में नवरात्र पर सात दिन तक गर्भगृह बंद रहता है।
श्रद्धालु गर्भगृह के बाहर ही पूजा करते है। अष्टमी के दिन आरती के बाद गर्भगृह के पट खोले जाते है। उसके बाद श्रद्धालु गर्भगृह में जाकर दर्शन करते है, लेकिन आप जानते है ऐसा क्यों तो चलिए आपको बताते है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मातारानी स्वंय निराहार रहकर आराधना में लीन रहती है, इसलिए कपाट बंद रख जाते है। अष्टमी तक गर्भगृह में कोई भी श्रद्धालु प्रवेश नहीं कर सकते।
मातारानी की 6 बार आरती की जाती है। वो भी सिर्फ कपूर और धूप से की जाती है। मंदिर के पूजारी ने बताया कि नवरात्र में पट बंद रखने की परम्परा मंदिर निर्माण के समय से चली आ रही है।
अष्टमी की सुबह पट खोले जाते है और पचानपुरा के राजपूत परिवार के यहां से जो भोग आता है वह मातारानी को लगाकर फिर गर्भगृह भक्तों के लिए खोला जाता है। आपको बता दें कि मंदिर का निर्माण तंवर राजपूत वंशजो ने विक्रम सवंत 1985 में कराया था।