राजस्थान में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक समुदाय के हौंसले बुलंदियों पर है। टोंक जिले में रविवार यानि 23 अप्रैल को मजहबिओं की ओर से पत्थरबाजी की गई। बताया जा रहा है कि यह विवाद नाथू गुर्जर घर के आगे मजहबियों के लोगों द्वारा बाइक पर स्टंट दिखाने से मना करने पर शुरू हुआ। शुरुआती बहस ने कुछ ही देर में हिंसक झड़प का रूप ले लिया।
टोंक पुलिस के मुताबिक, घटना में 3 से 4 लोग घायल हुए हैं जिनका इलाज करवाया जा रहा है।
पुलिस ने मौके पर पहुँच कर हालात को काबू किया। घटना में अभी तक लगभग 1 दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया है साथ ही इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है। हालांकि पुलिस इस मामले में सांप्रदायिक एंगल होने से इनकार कर रही है।
इससे पहले अगर हम बात करें तो करौली हिंसा जो आज सभी के जहने में बसी हुई है। इस घटना ने कांग्रेस का एक समुदाय के प्रति प्रेम को उजागर करने कार्य किया।
इस हिंसा में हिंदुओं को गुनहगार, जबकि वहीं उन मजहबियों को जिन्होंने पत्थर और शिलाओं से हिंदू नववर्ष के मौके पर रैली को खून खच्चर किया, उनको गहलोत सरकार ने कुछ अरचन नहीं आने दी।
इसी साल हिंदुओं के त्यौहार रामनवमी के अवसर पर हिंदुओं की ओर से जयपुर के जमवायरामगढ़ में निकाली गई रैली मजहबियों को रास नहीं आयी। इसी वजह से कट्टरपंथियों ने उस रैली पर पत्थरबाजी कर दी।
जिस पर ‘सो कॉल्ड सेक्युलरवादी’ पत्रकारों ने एक समुदाय को टारगेट पर ले लिया जबकि पत्थरबाजी की घटना किसी ओर समुदाय की ओर से की गई थी।