Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में जैसे जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही राज्य का सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है। कुछ पार्टियां गठबंधन कर चुनाव के दंगल में जीत का गणित बैठाने में लग गई हैं। हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (एएसपी-कांशीराम) में पहला चुनावी गठबंधन हो गया है।
इन दोनों पार्टियों ने मिलकर 200 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने का फैसला किया है। इस गठबंधन की घोषणा आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और एएसपी के चंद्रशेखर ने की। यह पहला बड़ा मौका है, जब राज्य में तीसरे मोर्चे बनाने की कवायद हुई है। राजस्थान में आरएलपी, एएसपी का गठबंधन कांग्रेस की नैया डुबो सकता है, इसका प्रमुख कारण है जाट और दलित वोट जो कि परंपरागत रूप से कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं।
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि इन दोनों पार्टियों का गठबंधन प्रदेश का सियासी समीकरण बदल सकता है। अगर विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में जाट और दलित मतदाता एक हो जाते हैं तो यह कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।
दरअसल इस गठबंधन के दोनों नेता चंद्रशेखर आजाद और हनुमान बेनीवाल की कोशिश है कि वह राजस्थान जाट मतदाता और दलित मतदाताओं को एक कर सियासत में अपनी मजबूत भागीदारी बना सकें। ऐसे में अगर दोनों पार्टियों का गठबंधन सफल होता है और ये गठबंधन जाट और दलित मतदाताओं को एक मंच पर लाकर चुनाव लड़ता है तो कांग्रेस का गणित बिगड़ना तय है।
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में, कुल 3.56 करोड़ वोटों में से लगभग 76 लाख वोट (21.34%) ऐसे थे जो न तो सत्तारूढ़ कांग्रेस को पड़े थे और न ही बीजेपी को, ऐसे में नई गठबंधन का मानना है कि इस चुनाव में वे मुख्य रूप से इसी संख्या को टारगेट कर रहे हैं।