ERCP: डबल इंजन सरकार में ईआरसीपी साकार, 20 साल का विवाद कुछ घंटों में हुआ खत्म

Rajasthan-MP News: ईआरसीपी को लेकर आखिर राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार के बीच समझौता हो जाने से राजस्थान के 13 जिलों की पानी की समस्या हल हो जाएगी।
ERCP: डबल इंजन सरकार में ईआरसीपी साकार, 20 साल का विवाद कुछ घंटों में हुआ खत्म

MOU Between Rajasthan and Madhya Pradesh on ERCP: केंद्र सरकार की पहल पर राजस्थान और मध्य प्रदेश में डबल इंजन सरकार एक्शन मोड पर आ गई है। इसके चलते दोनों प्रदेशों के लिए पानी के मामले में सबसे महत्वपूर्ण पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) की गुत्थी अखिरकार सुलझ ही गई। दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने रविवार को ईआरसीपी पर तैयार एमओयू पर हस्ताक्षर कर इसे अमली जामा पहनाने की विधिवत घोषणा कर दी। गौरतलब है कि ईआरसीपी को लेकर 20 साल से विवाद चल रहा था। राजस्थान की पूर्व गहलोत सरकार ने इस मामले को उलझा रखा था।

प्रदेश के 13 जिलों को मिलेगा पर्याप्त पानी

एमओयू के मौके पर मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि ईआरसीपी पर पिछले पांच साल में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे प्रदेश की जनता को पानी जैसी मूलभूज सुविधा से भी वंछित रहना पड़ा। अब ऐसा नहीं होगा। अब इस मामले में एमओयू होना से राजस्थान को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। इस परियोजना से 13 जिलों में 2.80 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षेत्र के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा। इस परियोजना पर करीब 37 हज़ार करोड़ खर्च होगा, जिससे किसानों में खुशहाली आने के साथ-साथ औद्योगिक और वन क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं सालों से चल रही पेयजल की समस्या का समाधान भी होगा।

सबसे ज्यादा लाभ मालवा, चंबल बेल्ट में

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि हमारा चंबल का बेल्ट, जो खेती की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस योजना के लागू होने से वहां काफी फायदा होगा। खेती के साथ ही औद्योगिक विकास और पर्यटन को भी तेजी मिलेगी। इस योजना में राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश के भी 13 जिले जुड़े हुए हैं, जिन्हें अब इस योजना का लाभ मिलेगा। इनमें सबसे ज्यादा लाभ मालवा और चंबल बेल्ट में मिलने वाला है। यादव ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति भी हुई। दोनों राज्यों की सहमति में जल शक्ति मंत्री शेखावत की विशेष भूमिका रही।

समझौता दोनों राज्यों के लिए स्वर्णिम: शेखावत

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने कहा कि यह समझौता दोनों राज्यों के लिए स्वर्णिम है। इस परियोजना का काम पूरा हो जाने के बाद दोनों राज्यों की 5 लाख 60 हजार हेक्टेयर नई जमीन सिंचाई के लिए तैयार हो जाएगी। इसके साथ ही अगले 30 से 40 सालों तक पेयजल की समस्या का भी समाधान होगा। इससे न केवल राजस्थान का बड़ा भूभाग अब सूखे से बच जाएगा, बल्कि देश के कई राज्यों को बाढ़ से भी बचाया जा सकेग। साथ ही राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुल 26 जिलों के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बदलाव भी आएगा।

परियोजना में मध्यप्रदेश में बनेंगे 7 बांध

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया कि यह परियोजना शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास सहित कई जिलों में पेयजल के साथ-साथ औद्योगिक जरूरतों को भी पूरा करेगी। इसके तहत 7 बांध भी बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से दोनों ही राज्यों में औद्योगिक निवेश, पर्यटन और शैक्षणिक संस्थाओं को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सिंचाई क्षेत्र और अधिक समृद्ध होगा।

एमपी-राजस्थान के बीच क्या था विवाद?

ईआरसीपी के लिए बांध बनाने व पानी के बंटवारे को लेकर मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद काफी समय से विवाद चल रहा था। राजस्थान सरकार का तर्क था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार ही बांध बना रहे हैं। यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराज का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो, तो ऐसे मामलों में राज्य की सहमति जरूरी नहीं है। इसके चलते मध्यप्रदेश सरकार ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दे रही थी। जब राजस्थान सरकार ने खुद के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का फैसला किय और बांध बनने लगी, तो मध्यप्रदेश सरकार इस विवाद को ले करके सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई।

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