अब बिजली उत्पादन के लिए पहाड़ी पर पानी का स्टोरेज होगा। इसके लिए जवाहर सागर बांध से सटी पहाड़ी को चिन्हित किया गया है। यहां स्टोरेज टैंक बनाया जाएगा। पहले बांध से पानी इकट्ठा करेंगे और जरूरत के हिसाब से पानी को नीचे लाकर टर्बाइन से बिजली पैदा की जाएगी। यहां 200 मेगावाट क्षमता का पंप स्टोरेज प्लांट बनाने की तैयारी चल रही है। इससे एक दिन में अधिकतम 16 लाख यूनिट सस्ती बिजली मिलेगी।
हाइड्रो पंप स्टोरेज सिस्टम के लिए पहाड़ी पर दो तालाब बनाए जाएंगे। दोनों तालाबों में 2.4 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी (केवल एक बार) भरा जाएगा। यहीं पर टरबाइन लगाई जाएगी। टर्बाइन के माध्यम से निचले तालाब से पानी पंप किया जाएगा और पानी जमा किया जाएगा। जब बिजली की जरूरत होगी, पानी को टरबाइन के माध्यम से निचले तालाब में वापस लाया जाएगा। इस प्रक्रिया से बिजली पैदा होगी, जिसकी सप्लाई डिस्कॉम को की जाएगी। रात में सौर ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए जहां भी बिजली की जरूरत होगी तो ग्रिड से लेने के बजाय, इस बिजली का उपयोग किया जा सकता है।
कितनी बिजली का होगा उत्पाद
1 घंटे में 2 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
2.4 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी से एक बार में बनेगी 5 लाख यूनिट।
एक दिन में स्टोरेज टैंक में तीन बार पानी भरने पर 16 लाख यूनिट बिजली पैदा होगी।
जवाहर सागर बांध में वर्तमान में हाइड्रोइलेक्ट्रिक पाॅवर स्टेशन चल रहा है। यहां 33 मेगावाट की तीन इकाइयां हैं। साल में लगभग 8 महीने बिजली का उत्पादन होता है। इसका वेरिएबल चार्ज मात्र 30 पैसे प्रति यूनिट है।