कुछ युवा अपना सब कुछ छोड़ गांव से शहर आते हैं। लाते हैं तो बस अपने मां- बाप की उम्मीदें और एक जज़्बा कुछ कर दिखाने का। ऐसे ही ना जाने कितने युवा जयपुर शहर में आते हैं और यहां आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।
इन परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए सबसे आवश्यक है एक शांत और एकांत जगह। अब वो शांत जगह या तो आपका कमरा हो या लाइब्रेरी। लाइब्रेरी की फीस तो आजकल आसमान छू रहे हैं।
युवाओं के लिए गांव से शहर आकर पढ़ना आजकल बहुत महंगा हो गया है लेकिन जयपुर में एक शख्स है जो पिछले 15 सालों से लाइब्रेरी की सुविधा इन युवाओं के लिए निशुल्क दे रहे हैं।
इस पहल को चालू करने वाले शख्स का नाम है ड़ी.आर.मेहता। ये प्राकृत भारती अकादमी के संस्थापक और मुख्य संरक्षक है। इनके प्रयास से मालवीय नगर कैलगरी मार्ग स्थित प्राकृत भारती अकादमी परिसर में संचालित की जा रही है।
रोज 700 से अधिक स्टूडेंट्स इस लाइब्रेरी में पढ़ने आ रहे हैं जिनमें अधिकांश ग्रामीण युवा है। ये सभी युवा अपने गांवों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए शहर आये है।
कमरे पर पढ़ पाने में युवाओं को परेशानी होती है। क्यूंकि कमरे में पढ़ने वाला माहौल नहीं मिल। इन्हीं बातों को मद्देनज़र रखते हुए यहां पर निशुल्क लाइब्रेरी का संचालन किया गया था।
इस लाइब्रेरी में पढ़ाई करके कई बच्चों की सरकारी नौकरी लग चुकी है। इनमें 2 आईआरएस, 2 आईपीएस, 4 आरएएस व आरजेएस बन चुके हैं।
कुशल संचेती अमेरिका में रत्नों का कारोबार करते है। उन्होंने बच्चों के पढ़ाई के लिए प्राकृत भारती अकादमी परिसर में आधुनिक लाइब्रेरी का निर्माण करवा है। जिसका उद्घाटन 20 जनवरी को हुआ और बच्चों की पढाई के लिए इन्हें समर्पित कर दिया गया।
हालांकि लाइब्रेरी के उद्घाटन समारोह में कुशल संचेती मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे। अशोक संचेती ने बताया कि कुशल संचेती अब तक देश में 150 से भी ज़्यादा युवाओं की आर्थिक मदद कर चुके है।
अमेरिका और अन्य देशों में उन्हें शिक्षित किया है। इस लाइब्रेरी के बनने से अब बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ सकेंगे। आज डी.आर.मेहता द्वारा स्थापित जयपुर फुट संस्था विश्व की एक श्रेष्ठ संस्था बन चुकी है।