Jaipur Literature Festival 2023 की शुरुआत जयपुर में आज से हो गई है। कहने को तो यह दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा साहित्यिक पर विमर्श करने का मंच है, लेकिन यहां साहित्यिक चर्चा से ज्यादा इधर-उधर की बातें ज्यादा होती है। यहीं कारण रहा कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कडेंय काटजू अपने के ब्लाग में लिखा कि 'जयपुर साहित्य सम्मेलन केवल तमाशा भर है न कि एक वास्तविक साहित्य सम्मलेन'।
साल 2020 में फिल्म अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जेएलएफ के मंच का इस्तेमाल किया था। मंच पर दास ने सीएए (CAA) को लेकर कई बातें कही थीं, जिसके बाद राजनीति के लिए साहित्य के मंच के इस्तेमाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
साल 2017 में बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन को सम्मेलन में बुलाने को लेकर काफी विवाद हुआ था। विवाद के बाद आयोजकों को यह विश्वास दिलाना पड़ गया था कि वे इस लेखक को फिर कभी आमंत्रित नहीं करेंगे।
दरअसल, तसलीमा लगातार इस्लाम की बुराइयों के बारे में खुलकर बात करती हैं। फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर विवाद में भी तसलीमा ने खुलकर अपना पक्ष रखा था। वह लगातार ट्वीट करती हैं और मुस्लिम कट्टरवाद को आईना दिखाती रहती हैं।
साल 2013 में राजनीतिक मनोवैज्ञानिक और आलोचक आशीष नंदी ने कहा था कि मौजूदा समय में देश में दलित और पिछड़े वर्ग के लोग ही भ्रष्टाचार कर रहे हैं। उनके खिलाफ दो एफआईआर हुई थीं और सोशल मीडिया पर भी मामले को लेकर विवाद हो गया था। बता दें कि कुछ साल पहले जेएलएफ में विक्रम सेठ के सरेआम शराब पीने को लेकर विवाद हुआ था।
एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो 2016 में JLF के आयोजन से जुड़ी संस्था टीमवर्क प्रोडक्शंस के प्रबंध निदेशक संजय राय ने भी अपना दर्द साझा किया था। संजय राय ने उस समय कहा था कि विवाद शुरुआत में ही रोमांच पैदा करता नजर आता है, लेकिन बाद में काफी परेशानी पैदा करता हैं जिससे निपटना मुश्किल होता है। यह समझने की जरुरत है कि कि JLF जैसे विशाल आयोजन के काफी मेहनत लगती है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कडेंय काटजू ने एक बार JLF का जिक्र करते हुए अपने एक ब्लाग में लिखा था कि गरीबी, शिक्षा व्यवस्था, बेरोजगारी, महिलाओं से जुड़े मुद्दें, स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ और अन्य सामाजिक मुद्दों पर लेखकों द्वारा नहीं लिखा जा रहा हैं। ऐसे में मेरे लिए तो जयपुर साहित्य सम्मेलन केवल तमाशा भर है न कि एक वास्तविक साहित्य सम्मलेन।