भारत को आजादी मिलने की घोषणा के बाद 15 अगस्त,1947 को करौली की अनाजमंडी स्थित पोस्ट आफिस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले चिरंजीलाल शर्मा का आज जन्म दिन है। शर्मा 1948 में गठित मत्स्य संघ के मंत्री मण्डल में विकास मंत्री ,1946 में करौली में स्थापित प्रजामंडल तथा ग्राम सेवा मण्डल करौली के अध्यक्ष रहे तथा 1955 में गठित राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के 14 वर्षों तक सचिव पद पर भी कार्य किया।
सपोटरा के कन्हैया लाल पत्नी मूलीदेवी के पुत्र चिरंजीलाल का जन्म 10 दिसम्बर,1912 को हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गुरु गणेश प्रसाद के घर पर प्राप्त की। मात्र 13 वर्ष की आयु में ही अपने मित्र रामचरण पटवारी के साथ बम्बई चले गये। बम्बई प्रवास के दौरान चौपाटी पर पंडित मदनमोहन मालवीय का ओजस्वी भाषण सुनकर समाज एवम राष्ट्र सेवा की प्रेरणा मिली और बम्बई छोड़ कर वापिस करौली आ गये।
इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा के अनुसार 1929 में महात्मागांधी के आगरा आने की जानकारी मिलने पर मित्र ठा.सा. रामसिंह के साथ आगरा पहुँच गये। इस अवसर पर गांधीजी को करौली में तैयार सूत और कपड़ा भी बताया। 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने अजमेर पहुंचे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अपने जीवकोपार्जन के लिए उन्होने अजमेर के नारेली आश्रम ,गोविन्दगढ़ ,अमरसर एवं मुकुंदगढ़ में खादी प्रसार के लिए सेवाएं दी।
1945 के बाद चिरंजी लाल करौली रहने लगे। उन्होने प्रजामंडल पत्रिका का सम्पादन भी किया। वे राजस्थान प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के 2 वर्ष तक सदस्य रहे तथा नशाबंदी एवम सर्वोदय आंदोलन से भी जुड़े रहे। ग्रामसेवा मण्डल ,करौली के माध्यम से उन्होने बेरोजगार लोगों को खादी गतिविधियों से जोड़ा। गो संबर्द्धन एवम करौली क्षेत्र में डाँकू उन्मूलन के लिए उन्होने सराहनीय प्रयास किए। स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान के लिए 1972 में उन्हें भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी ने ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया।
इतिहासकार वेणुगोपाल बताते है कि 27 जुलाई 1989 को ग्रामसेवा मण्डल करौली में चिरंजीलाल शर्मा का निधन हो गया। राजस्थान सरकार द्वारा करौली के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल का नामकरण स्वतन्त्रता सेनानी श्रीचिरंजीलाल शर्मा राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल करके उनकी स्मृति को स्थायी करने का कार्य किया है।