Rajasthan Politis: राजस्थान में पिछले एक दशक से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव में फंसी कांग्रेस का संकट अभी भी कम नहीं हुआ। विधानसभा चुनाव में मिली हार रके बाद गहलोत-पायलट को तो राजस्थान से बाहर भेज दिया। इसके बावजूद दोनों गुटों में वर्चस्व की होड़ इतनी है कि पार्टी नतीजों के बाद अब तक विपक्ष का नेता तय नहीं कर पाई, जबकि विधानसभा का एक सत्र पूरा चुका है। जनवरी 2024 में फिर विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नए सत्र के शुरू होने तक पार्टी विपक्ष का नेता चुन लेगी।
राजस्थान में पांच दिसंबर को चुनावी नतीजे आए। बीजेपी ने सत्ता की कमान संभाल ली। नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ताबड़तोड़ फैसले कर रहे हैं। विधानसभा का एक छोटा सत्र हो चुका है लेकिन कांग्रेस का संकट खत्म नहीं हो रहा है। पार्टी अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई। कांग्रेस की पहली मुश्किल थे अशोक गहलोत और सचिन पायलट। कांग्रेस भले ही चुनाव हार गई थी, लेकिन पायलट और गहलोत दोनों विधायक चुने गए थे। ऐसे में पार्टी की पहली मुश्किल थी कि दोनों से किसको सौंपे विपक्ष के नेता की कमान?
राजस्थान कांग्रेस का असली संकट ही गहलोत-पायलट की गुटबाजी रही। लिहाजा पार्टी ने पहले दोनों को राजस्थान से बाहर भेजा। गहलोत को नेशनल अलायंस कमेटी का सदस्य बनाकर और पायलट को राष्ट्रीय महासचिव और छतीसगढ़ का प्रभारी बनाकर। इस फैसले के एक सप्ताह बाद भी राजस्थान में विपक्ष के नेता का चयन कांग्रेस नहीं कर पा रही है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नया विधासनभा सत्र शुरू होने से पहले पार्टी विपक्ष का नेता तय कर लेगी। डोटासरा ने कहा कि पार्टी सभी पहुलुओं पर विचार कर रही है।
दरअसल, गहलोत-पायलट भले ही खुद रेस से बाहर हो गए हो लेकिन दोनों इस कोशिश में जुटे हैं कि उनके गुट के नेता को ये जिम्मेदारी मिले। दूसरी तरफ पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद से मुक्त हुए हरीश चौधरी भी विपक्ष के नेता की रेस में है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिह डोटासरा भी। कांग्रेस हाईकमान इस कोशिश में है कि गहलोट-पायलट गुट को छोड़कर किसी नए नेता को ये कमान सौंपे लेकिन पार्टी के लिए राजस्थान में ये फैसला आसान नहीं। पेच फंसने के बाद कांग्रेस ने अघोषित रूप से करणपुर में हो रहे विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए विपक्ष के नेता के चयन की प्रकिया टाल दी है। माना जा रहा है इस उपचुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस राजस्थान में एक और सर्जरी की तैयारी में है।