Rajasthan: कांग्रेस ने 'बाप' के सामने टेके घुटने, बांसवाड़ा में नहीं उतारा कंडिडेट, तो वोट किसे देंगे कांग्रेसी?

Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव में राजस्‍थान में अपनी लाज बचाने लिए हर संभव दांव लगा रही कांग्रेस ने बांसवाड़ा में बीएपी के सामने घुटने टेके दिए।
Rajasthan: कांग्रेस ने 'बाप' के सामने टेके घुटने, बांसवाड़ा में नहीं उतारा कंडिडेट, तो वोट किसे देंगे कांग्रेसी?

Cangress With BAP Candidate in Banswara: राजस्‍थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने नागौर व सीकर की तर्ज पर अन्‍य दल के साथ गठबंधन किया है। बांसवाड़ा में कांग्रेस ने भारत आदिवासी पार्टी (बाप) का समर्थन दिया है। यहां पर कांग्रेस ने अपना उम्‍मीदवार नहीं उतारा है।

बांसवाड़ा में भारत आदिवासी पार्टी ने चोरासी सीट से विधायक राजकुमार रोत व भाजपा ने महेंद्रजीत सिंह मालवीय को टिकट दिया है। कांग्रेस ने राजकुमार रोत के लिए बांसवाड़ा सीट छोड़ दी। इसी तरह से नागौर में आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल व सीकर में सीपीआईएम के अमराराम के लिए छोड़ी थी।

बुधवार को राजकुमार jरोत ऊंट पर सवार होकर नामांकन पत्र दाखिल करने निर्वाचन कार्यालय पहुंचे। एक निर्दलीय व दूसरा बीएपी प्रत्‍याशी के रूप में पर्चा भरा है। गुरुवार को महेंद्रजीत सिंह मालवीय पर्चा भरेंगे। उन्‍हें पर्चा भरवाने के लिए राजस्‍थान मुख्‍यमंत्री का दौरा प्रस्‍तावित है। 4 अप्रैल पर्चा भरने की आखिरी डेट है।

राजकुमार रोत के सामने कांग्रेस का सरेंडर?

बता दें कि राजकुमार रोत को कांग्रेस ने पूरी तरह से अपना समर्थन दिया है। इसकी एक बानगी राजकुमार रोत की नामांकन रैली में भी देखने को मिली। रोत के साथ अशोक गहलोत सरकार में जनजाति मंत्री रहे अजुर्न बामनिया के बेटे उप जिला प्रमुख विकास बामनिया, कांग्रेस एमएलए रमिला खड़िया के बेटे व यूथ कांग्रेस के जिलाध्‍यक्ष रोहित खड़िया समेत कांग्रेस ब्‍लॉक अध्‍यक्ष आदि प्रमुख नेता भी थे।

तो कौन हैं राजकुमार रोत?

  • राजकुमार रोत का जन्‍म 26 जून 1992 को डूंगरपुर में हुआ। ये भील आदिवासी समुदाय से हैं।

  • राजकुमार रोत ने भारतीय ट्राइबल पार्टी छोड़ने के बाद 2023 में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) की स्थापना की।

  • राजस्‍थान विधानसभा चुनाव 2023 में राजकुमार रोत ने 69,166 वोटों से जीत हासिल की थी।

  • इससे पहले साल 2018 के विधानसभा चुनाव में राजकुमार रोत सबसे कम उम्र के विधायक चुने गए थे। तब बीटीपी में थे। अब बीएपी में हैं।

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