Rajasthan Election 2023: कांग्रेस की दोनों सूचियों में गाइडलाइन और सर्वे की अनदेखी; सताया हार का डर?

Rajasthan Assembly Election 2023: कांग्रेस में हार का डर इतना है कि वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। दोनों ही सूचियों में गाइडलाइन, सर्वे की अनदेखी कर अधिकतर पुराने चेहरे रिपीट कर दिए।
Rajasthan Election 2023: कांग्रेस की दोनों सूचियों में गाइडलाइन और सर्वे की अनदेखी; सताया हार का डर?

Rajasthan Assembly Election 2023: सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान और अंतरकलह से जूझ रही कांग्रेस ने जो दो सूचियां जारी की हैं उन दोनों में ही ज्यादातर ज्यादातर चेहरे रिपीट किए हैं। इससे लगता है पार्टी कोई रिस्क उठाना नहीं चाहती। दोनों की लिस्ट में शामिल चेहरों से लगता है पार्टी को हार का डर सता रहा है, इसलिए नए चेहरों पर दाव खेलकर पार्टी अपना नुकसान नहीं करना चाहती है।

इतना ही नहीं कांग्रेस की दोनों सूचियों को देखकर लगता है कि आलाकमान द्वारा एक साल पहले तय की गई गाइडलाइन कोई काम नहीं आई। सर्वे भी कोई काम नहीं आया। कांग्रेस ने पहली सूची में 33 और दूसरी में 43 नामों की घोषणा की। इस प्रकार दोनों सूचियों में कांग्रेस कुल 76 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुकी।

दो चुनाव हारने वाले दो उम्मीदवारों और भ्रष्टाचार में घिरे दो मंत्रियों को भी दिया टिकट

पार्टी गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए लगातार दो चुनाव हारने वाले दो उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। साथ ही 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार का कारण बने 5 निर्दलीय विधायकों को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे दो मंत्रियों को भी टिकट दिया है।

खराब स्थिति वाले 17 विधायकों को भी फिर से उतार दिया मैदान में

आलाकमान की ओर से करवाए गए सर्वे में जिन 17 विधायकों की स्थिति खराब बताई गई थी, उन्हें पार्टी ने फिर से मैदान में उतारा है। कांग्रेस के प्रत्याशी तय करने में आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भी काम नहीं आई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मिलकर अपने-अपने समर्थकों को टिकट बांट दिए।

यह थी कांग्रेस की गाइडलाइन

कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर सहित विभिन्न बैठकों में गाइडलाइन तय की थी । इसके तहत लगातार दो चुनाव हारने वालों को टिकट नहीं देंगे, लेकिन दो टिकट दिए गए। पार्टी ने तय किया था कि पिछले चुनाव में पार्टी की हार का कारण बने बागियों को टिकट नहीं देंगे, लेकिन गहलोत के दबाव में पांच निर्दलीय विधायकों को टिकट दिया गया। अब तक 13 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए गए, जबकि 33 प्रतिशत देने का वादा किया गया था।

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