Rajasthan Elections: पहली ही लिस्ट में कांग्रेस "टांय-टांय फिस्स", 33 प्रत्याशियों के नाम जारी करने में लग गए 13 दिन

Rajasthan Assembly Elections 2023: कांग्रेस को प्रत्याशियों के नाम घोषित करने में पसीने आ रहे हैं। 13 दिन में 33 नाम सामने आए हैं, शेष 167 नाम जारी करने के लिए हालत खस्ता होने वाली है।
Rajasthan Elections: पहली ही लिस्ट में कांग्रेस "टांय-टांय फिस्स", 33 प्रत्याशियों के नाम जारी करने में लग गए 13 दिन
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Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के चुनाव 200 सीटों पर होने हैं। निर्वाचन आयोग ने 9 अक्टूबर यानी सोमवार को चुनाव की घोषणा कर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया और भारतीय जनता पार्टी की अपने 41 प्रत्याशियों की पहले सूची उसी दिन अर्थात 9 अक्टूबर को ही जारी कर दी।

इसके बाद बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची 21 अक्टूबर यानी शनिवार को जारी कर 83 प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए। दोनों सीटों को मिलाकर भाजपा 124 नामों की घोषणा कर चुकी है। उसे अब मात्र 76 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करना शेष है।

इधर, कांग्रेस है कि लंबे इंतजार के बावजूद मतदान की घोषणा के 13 दिन बाद शनिवार को ही अपनी पहले लिस्टा जारी कर पाई, जिसमें भी मात्र 33 प्रत्याशियों के नाम ही उजागर कर पाई है। अभी कांग्रेस को 167 नामों की घोषणा करना बाकी है। ऐसे में लग रहा है कि कांग्रेस में अंदरखाने काफी खींचतान चल रही है।

13 दिन चले अढ़ाई कोस...?

कांग्रेस की पहली सूची में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सीपी जोशी, अशोक चांदना समेत 31 वही पुराने चेहरे हैं, जिन्हें 2018 में भी टिकट दिया गया था। केवल एक चेहरा रमिला खड़िया है, जिन्हें कुशलगढ़ से टिकट दिया गया है, जो एकमात्र निर्दलीय विधायक थीं।

इससे भी साफ जाहिर होता है कि पार्टी प्रत्याशी घोषित करने में कांग्रेस को कितना पसीना आ रहा होगा। इतने दिन कई कई बैठकों और आलाकमान के साथ विचार विमर्श के बावजूद कांग्रेस 13 दिन चली अढ़ाई कोस वाली कहावत ही चरितार्थ करती दिख रही है। 13 दिन में कांग्रेस मात्र 33 नामों ही घोषित कर पाई है।

दो खेमे, एक की भी अनदेखी हुई तो...?

कांग्रेस को राजस्थान में अभी 167 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर इनकी घोषणा करनी है। अब तक मात्र 33 नाम ही घोषित करने से यह तो साबित हो ही गया कि सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम राजेश पायलट के बीच चल रही रस्साकस्सी ही इस देरी का मुख्य कारण है।

पार्टी ने पहली सूची में सेफ गेम खेलते हुए सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट को बैलेंस तो किया, लेकिन शेष नामों की घोषणा पर कितना बखेड़ा होने वाला है यह भी सामने आ गया। यदि इनमें से एक भी खेमे की अनदेखी की गई तो कांग्रेस में सिर फुटव्वल तय है। ऐसे में कांग्रेस की वापसी शायद ही हो पाए, क्योंकि विरोधी खेमा भीतरघात करेगा।

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