Rajasthan: गुज्जरों की नाराजगी, खिसकता आधार… पायलट की अनदेखी पड़ेगी कांग्रेस को भारी!

Rajasthan Elections: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस ने काफी देर कर दी है। ऐन वक्त पर पोस्टर में पायलट की वापसी का पार्टी को खास फायदा नहीं होगा।
Rajasthan: गुज्जरों की नाराजगी, खिसकता आधार… पायलट की अनदेखी पड़ेगी कांग्रेस को भारी!

Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में हर तरफ कांग्रेस बैकफुट पर दिख रही है। टिकट को लेकर हर सीट पर लड़ाई है तो नेतृत्व को लेकर सालों से राजस्थान में चल रही कांग्रेसी लड़ाई से कौन वाकिफ नहीं है। इस चुनाव में सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने अब तक एक भी रैली साथ में नहीं की है।

ऐसे में माना जा रहा था कि दोनों ही नेता अपनी-अपनी ताकत अपनी मजबूत सीटों पर दिखा रहे हैं। सचिन को कांग्रेस खारिज नहीं कर सकी थी। यही वजह है कि सचिन ने अपने समर्थक सभी 19 विधायकों को इस बार भी टिकट दिलवा लिया है। कांग्रेस के पोस्टरों पर भी सचिन की वापसी कराई गई है। जयपुर में कांग्रेस की ओर से गृह लक्ष्मी गारंटी योजना के पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों के साथ ही करीब 4 साल बाद सचिन पायलट की कांग्रेस के पोस्टरों में वापसी हुई है।

गुज्जर इलाकों में कांग्रेस उम्मीदवारों का विरोध

इस चुनाव में मीडिया रिपोर्ट्स ये बता रही हैं कि गुज्जर बहुल इलाकों में कांग्रेस का तीखा विरोध हो रहा है। गुज्जर अब भी ये बात पचा नहीं पा रहे हैं कि जिस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरे समाज ने अपना जोर लगा दिया था, उसे मुख्यमंत्री बनाना तो दूर, कांग्रेस हाई कमान ने डिप्टी सीएम पद से भी हटा दिया था।

ऐसे में अब जब प्रचार के लिए कांग्रेसी उम्मीदवार गुज्जर बहुल इलाकों में पहुँच रहे हैं तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई इलाकों में स्थानीय गुज्जर नेताओं ने बकायदा भाजपा का झंडा उठा लिया है।

बहुत देर कर दी हुजूर आते-आते!

बहरहाल, सचिन पायलट की कांग्रेस के पोस्टरों पर वापसी को दोनों ही रूपों में देखा जा सकता है। एक ओर यह एक मजबूरी भी हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस को राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए पायलट की लोकप्रियता की जरूरत है। दूसरी ओर, यह कांग्रेस के लिए एक जरूरी कदम भी हो सकता है, क्योंकि इससे पार्टी एकता का संदेश देने में सफल हो सकती है।

वैसे, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने काफी देर कर दी है। जो संदेश आम जनता तक जाना था, वो पहले ही जा चुका है। ऐसे में कांग्रेस को इन पैतरों से क्या फायदा मिलेगा, आने वाले 3 दिसंबर को इसका पता चल ही जाएगा। इन सबके बीच महत्वपूर्ण बता ये है कि भाजपा को हर तरफ बढ़त हासिल होती दिख रही है।

अब फायदा कम, नुकसान ज्यादा?

राजस्थान में सचिन पायलट की अगुवाई में 2018 में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने उन्हें सत्ता नहीं सौंपी तो सचिन पायलट ने कुछ महीनों के इंतजार के बाद बगावत का झंडा उठा लिया था। इसके बाद अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस हाईकमान ने भी सचिन को किनारे लगा दिया।

सचिन पायलट के डिप्टी सीएम पद पर रहते हुए बगावत को देखकर अशोक गहलोत के इशारे पर उनके पोस्टर फड़वा दिए गए, वो भी तब जब खुद सचिन पायलट ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। इस घटना ने सचिन पायलट को इस कदर निराश कर दिया था कि उन्होंने अगले ही दिन डिप्टी सीएम का पद छोड़ दिया और खुलकर सरकार से अलग हो गए।

अभी इस चुनाव की बात करें तो अब तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी में दो ध्रुव की तरह काम करते दिख रहे हैं। इस चुनाव में दोनों की एक रैली तक साथ नहीं हुई है। अब जबकि मतदान से पहले चुनाव प्रचार के लिए सिर्फ एक सप्ताह का समय बचा है तब कांग्रेस के पोस्टरों पर सचिन पायलट की वापसी हुई है। यह देरी कांग्रेस को फायदा कम, नुकसान ज्यादा देगी।

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