Rajasthan Health Bill: सरकार की ढिलाई मरीजों को पड़ रही भारी; डॉक्टरों की हट पर एक्शन कब?

Rajasthan Health Bill: बिल के विरोध में आंदोलनरत चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं होने से चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। Since Independence पर जानें इस गतिरोध में कैसे पिस रहे मरीज?
Rajasthan Health Bill: सरकार की ढिलाई मरीजों को पड़ रही भारी; डॉक्टरों की हट पर एक्शन कब?
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Rajasthan Health Bill: राजस्थान में 'राइट टू हेल्थ' बिल को लेकर सरकार और डॉक्टरों के बीच जारी गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा है। प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक और संचालनकर्ता बिल के विरोध में अड़े हुए हैं। सरकारी चिकित्सक भी इस आंदोलन के समर्थन में उतर आए हैं, जिसकी वजह से चिकित्सा व्यवस्था चरमा गई है। इसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को झेलना पड़ रहा है। मरीज और उनके परिजन ईलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं और अस्पतालों से डॉक्टर नदारद हैं।

निजी अस्पतालों का भार भी एसएमएस और जेके लोन अस्पताल पर आ पड़ा है। लेकिन यहां भी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार के चलते मरीज उपचार के लिए परेशान हो रहे हैं। अस्पतालों में लंबी-लंबी कतारें लगी हैं और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के ऑपेरशन टाले जा रहे हैं। एसएमएस अस्पताल के ओपीडी में सबसे ज्यादा भीड़ हार्ट के मरीजों की है। हृदय रोग से जुड़े डॉक्टरों के चैम्बर के बाहर सबसे लंबी कतारें लगी है।

स्वास्थ्य मंत्री ने फिर चेताया

इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने स्पष्ट किया है कि इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने विधान सभा में राइट टू हेल्थ बिल को सर्वसम्मति से पास कराया है। इस पर राज्यपाल का अनुमोदन मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।इसके लागू होने के बाद यह कानून प्रदेश के सभी अस्पतालों में मान्य होगा।

उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सरकारी चिकित्सक अभी भी काम कर रहे हैं। यदि वे कामकाज बंद करते हैं तो फिर सरकार भी सख्ती करेगी। हालांकि चिकित्सा मंत्री ने यह कहा है कि सरकार की ओर से वार्ता के द्वार खुले हैं और हड़ताल कर रहे चिकित्सक कभी भी सरकार के साथ वार्ता कर सकते हैं।

चेतावनी बेअसर, एक्शन कब?

इधर, राज्य सरकार है कि इस मामले में अब तक फेलियर ही साबित हुई है। कई वार्ताओं के बावजूद डॉक्टरों को मनाया नहीं जा सका है। मुख्यमंत्री गहलोत और चिकित्सा मंत्री परसादी मीणा की चेतावनी का डॉक्टरों पर असर नहीं हो रहा है। सरकार घुडकी तो दे रही है, लेकिन एक्शन नहीं होने से चिकित्सक मनमानी कर रहे हैं।

कल 'महाबंद', मेडिकल टीचर्स भी समर्थन में

फिलहाल मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा खत्म होती नहीं दिख रही है। डॉक्टरों के आंदोलन को अब मेडिकल टीचर्स ने भी अपना समर्थन देने की घोषणा की है। बुधवार को प्रस्तावित महाबंद को मेडिकल टीचर्स ने भी समर्थन देने की घोषणा की है। मेडिकल टीचर्स के संगठन RMCTA और MCTAR ने महाबंद को समर्थन देने की घोषणा की है। हालांकि, इस दौरान इमरजेंसी और आईसीयू की सेवाएं चालू रखने की बात कही जा रही है।

सरकार और निजी अस्पतालों के बीच यह है विवाद

वर्तमान में राज्य में आम जनता के लिए दो योजनाएं "चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना" और राज्य के कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए "राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना" (आरजीएचएस) चल रही हैं, जिसके तहत सरकार द्वारा निजी अस्पतालों में इलाज के लिए तय नियमों के अनुसार प्रतिपूर्ति की जाती है।

निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने बताया कि सर्वसम्मति से निर्णय क‍िया गया कि राज्य के सभी निजी अस्पताल भविष्य में राज्य सरकार की किसी भी योजना (आरजीएचएस एवं चिरंजीवी) में काम नहीं करेंगे।

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