Rajasthan: दूसरे चरण में हाई प्रोफाइल नेताओं की अग्निपरीक्षा, गहलोत-वसुंधरा की विरासत दांव पर

Lok Sabha Election 2024: राजस्थान के अंतिम और फाइनल चरण के लोकसभा चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर है। इसके अलावा कुछ हाईप्रोफाइल सीटों पर मुकाबला रोमांचक है।
Rajasthan: दूसरे चरण में हाई प्रोफाइल नेताओं की अग्निपरीक्षा, गहलोत-वसुंधरा की विरासत दांव पर

Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 12 सीटों पर पहले चरण में चुनाव हो चुके हैं। अब बारी दूसरे चरण में 13 सीटों की है। राजस्थान का यह फाइनल चरण है। 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है। दूसरे चरण की 13 सीटों पर 152 उम्मीदवार मैदान में हैं। बीजेपी लगातार दो लोकसभा चुनाव से क्लीन स्वीप कर रही है। इसके चलते उसके सामने फिर से सभी सीटें जीतने की चुनौती है। वहीं, कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलने के लिए बेताब नजर आर रही है।

राजस्थान के अंतिम और फाइनल चरण के लोकसभा चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे भी मैदान में हैं। इसमें अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने-अपने बेटों को जिताने के लिए उनकी सीटों पर डेरा जमाए हुए हैं। इसके अलावा कुछ हाईप्रोफाइल सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला रोमांचक है। कई बड़े नामों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इसके चलते राजस्थान चुनाव के दूसरे चरण की सीटों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।

दूसरे चरण की 13 सीट पर वोटिंग 26 को

राजस्थान के दूसरे चरण में टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बांरा सीट पर वोटिंग 26 अप्रैल को होगी। बीजेपी इन सभी 13 सीटों पर चुनावी मैदान में है जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर लड़ रही है। बांसवाड़ा में BAAP की तरफ से राजकुमार रोत मैदान में हैं। दूसरे चरण में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी जंग है तो बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है।

क्या गहलोत बेटे को बना पाएंगे सांसद!

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। इस बार वैभव को जोधपुर की जगह पर जालौर सीट से कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। बीजेपी ने पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी पर भरोसा जताया है। जालौर सीट पर अशोक गहलोत ने अपने पुराने अनुभव और मशीनरी को झोंक रखा है। वैभव के लिए इस सीट पर जीत की राह उतनी आसान नहीं है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी थी।

वसुंधरा बेटे को 5वीं बार बनाएंगी सांसद!

वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ लोकसभा सीट पर पांचवीं बार मैदान में हैं। वो चार बार सांसद रह चुके हैं। दुष्यंत के सामने इस बार भी मुकाबला करने वाला मजबूत प्रत्याशी नहीं है। गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रमोद भाया जैन की पत्नी उर्मिला चुनावी मैदान में हैं। वसुंधरा के चुनावी प्रचार की कमान संभालने के बाद झालावाड़ इलाके में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है। यह इलाका वसुंधरा राजे का मजबूत गढ़ माना जाता है। वसुंधरा ने जब से सियासत में कदम रखा है, कांग्रेस अभी तक सेंधमारी नहीं कर सकी है।

बाड़मेर में भाटी ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

बाड़मेर लोकसभा सीट राजस्थान की सबसे चर्चित सीटों में से एक है। इसके पीछे वजह हैं यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रविंद्र सिंह भाटी। भाटी के नामांकन से लेकर रैलियों तक जिस तरह की भीड़ जुट रही है, उससे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए टेंशन बन गई है। यहां बीजेपी से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मेदा राम बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है.। उम्मेदा राम बेनीवाल की भी यहां अच्छी पकड़ है. ऐसे में रविंद्र भाटी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

क्या बिरला लगा पाएंगे हैट्रिक!

कोटा लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल सीटों में एक है. यहां से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बीजेपी ने लगातार तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है.। ओम बिरला ने पिछले दो चुनावों यानी 2014 और 2019 में अच्छे खासे वोटों से जीत दर्ज की, लेकिन इस बार जीत इतनी आसान नहीं है। ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस ने प्रह्लाद गुंजन को उतार रखा है। प्रह्लाद गुंजन चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं और गुर्जर समुदाय से आते हैं। इतना ही नहीं गुंजल किसी समय ओम बिड़ला के विश्वस्त माने जाते थे, लेकिन बदली सियासी परिस्थितियों के चलते अब वह बिरला को ही चुनौती दे रहे हैं।

जोधपुर में शेखावत की बढ़ी टेंशन

जोधपुर लोकसभा सीट राजस्थान की हाई प्रोफाइल सीटों में है, जहां मुकाबला एकतरफा नहीं, बल्कि करीबी है। जोधपुर सीट पर बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहे हैं। शेखावत यहां से 2014 और 2019 में भी जीत दर्ज कर चुके हैं। पिछली बार उन्होंने प्रदेश के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराया था। इस बार कांग्रेस ने यहां से करण सिंह उजियारडा को टिकट दिया है। करण सिंह भी गहलोत की तरह राजपूत समुदाय से आते हैं, जिसके चलते बीजेपी के लिए टेंशन बने हुए हैं। गजेंद्र सिंह शेखावत अपनी सीट से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं।

सीपी जोशी की भी टेंशन बढ़ी

चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर इस बार सबकी नजर टिकी है, यहां मुकाबला काफी रोचक है। एक तरफ बीजेपी से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस से अंजना उदयलाल और बहुजन समाज पार्टी से मेघवाल राधेश्याम मैदान है। जोशी के सामने गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना के उतरने से कांटे की लड़ाई बन गई है। विधानसभा चुनाव से ही चंद्रभान सिंह आक्या के साथ उनकी सियासी अदावत चल रही है और आक्या का टिकट कटने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में जीत मिली थी। इस तरह समीकरणों से जोशी को भितरघात का खतरा बना हुआ है।

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