Randhawa's Religious Journey: धार्मिक यात्रा में रंधावा ने पहले दरगाह को चुना, यह भी अपने आप में है "बड़ा मैसेज"

Randhawa's Ajmer-Pushkar Trip: गुरुवार को अजमेर पहुंचे राजस्थान कांग्रेस प्रभारी रंधावा यात्रा के बहाने एक तरह से धार्मिक मैसेज भी दे गए।
Randhawa's Religious Journey: धार्मिक यात्रा में रंधावा ने पहले दरगाह को चुना, यह भी अपने आप में है "बड़ा मैसेज"
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Randhawa's Ajmer-Pushkar Trip: राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरुवार को धार्मिक यात्रा पर अजमेर पहुंचे और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जियारत की। इसके बाद पुष्कर में जगत पिता ब्रह्मा मंदिर पहुंच कर दर्शन किए। अब यहां बड़ा सवाल यही है कि रंधावा ने अपनी धार्मिक यात्रा में सबसे पहले दरगाह को ही क्यों चुना?

सब जानते हैं कि कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति करके हमेशा मुस्लिम वोटरों को लुभाने में लगी रहती है। हिंदू वोटर कांग्रेस की लिस्ट में शायद सबसे बाद में हैं। रंधावा का अपनी धार्मिक यात्रा में सबसे पहले पहले अजमेर दरगार हो चुनना भी एक बड़ा मैसेज है। इस तरह से उन्होंने एक मजहब विशेष के लोगों में अपना मैसेज पहुंचाने का काम किया है। हालांकि जीत किसकी होगी यह तो समय ही बताएगा।

धार्मिक यात्रा में दरगाह को पहले चुना

दरगाह में बातचीत के दौरान सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में धर्मनिरपेक्षता है। पार्टी में हर जाति-धर्म समाज के लोगों शामिल हैं। दरगाह में भी सभी धर्म के लोग जियारत के लिए आते हैं और उनकी मुरादे यहां पूरी होती है।

साथ ही कहा, मैंने भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने की दुआ मांगी है। मैं पहले प्रभारी बनकर दरगाह आया था। आज बिना किसी को सूचना दिए श्रद्धालु बनकर आया हूं।

दरगाह में जीत की दुआ, ब्रह्मा मंदिर...?

अब यहां भी रंधावा ने मीडिया के सामने दरगार का गुणगान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह तो कहा कि वे कांग्रेस की जीत की दुआ मांगने दरगाह आए हैं, लेकिन यह नहीं कहा कि वे पुष्कर के विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर में पार्टी की जीत के लिए प्रार्थना करने आए हैं।

अपनी धार्मिक यात्रा में ब्रह्मा मंदिर को दूसरे स्थान पर रखना। ब्रह्मा मंदिर में पार्टी के लिए प्रार्थना की या नहीं इसका जिक्र तक नहीं करना, अपने आप में एक बड़ा मैसेज है।

यह भी सब जानते हैं कि मंदिर तोड़ने वाली, रामसेतु पर सवाल खड़े करने वाली, राम जन्मभूमि पर प्रश्न उठाने वाली, राम मंदिर पर सियासत करने वाली कांग्रेस और कांग्रेसियों से और भला उम्मीद ही क्या की जा सकती है।

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