RPSC Paper Leak Case: वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा पेपर आउट मामले में SOG की पूछताछ में RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा, भांजे विजय कटारा और ड्राइवर गोपाल सिंह ने कई राज उगले हैं। बाबूलाल कटारा ने शेर सिंह से 60 लाख रुपए में पेपर का सौदा किया था, जबकि विजय कटारा को रिश्वत में सोने का कड़ा दिया गया था। RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा से नजदीकियां बढ़ाने के लिए शेर सिंह ने कटारा के ड्राइवर गोपाल सिंह से घनिष्टता बढ़ाई।
इस मामले को लेकर आज बुधवार को एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राठौड़ ने तीनों आरोपियों से अब तक हुई पूछताछ की जानकारी पत्रकारों को दी। उधर, पेपर आउट मामले में एसओजी ने RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार कर बुधवार को उदयपुर में कोर्ट में पेश किया है।
एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि अब तीनों आरोपियों को 29 अप्रैल तक रिमांड पर लेकर गहनता से पूछताछ की जाएगी। जबकि पहले गिरफ्तार शेर सिंह मीणा को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।
एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा ने ही शेर सिंह को वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का सामान्य ज्ञान का पेपर दिया था। उसने शेर सिंह से 60 लाख रुपये में पेपर का सौदा किया और शेर सिंह उर्फ अनिल मीणा ने दो बार में उसे यह राशि दी थी।
शेर सिंह ने बाबूलाल कटारा से घनिष्ठता बढ़ाने के लिए उसके चालक गोपाल का इस्तेमाल किया और कई बार मेल मुलाकात के बाद उनकी पक्की दोस्ती हो गई थी। इसके बाद दोनों के बीच पेपर की डील फाइनल हुई।
बाबूलाल कटारा के भांजे विजय की भी इस पूरे मामले में अहम भूमिका रही है। इसके इसके बदले शेर सिंह ने उसे सोने का कड़ा दिलवाया था। बता दें कि एसओजी ने मंगलवार सुबह अजमेर के सिविल लाइन्स स्थित आवास से बाबूलाल कटारा और अजमेर से ही उसके चालक गोपाल सिंह को पकड़ा था।
बाबूलाल के भांजे विजय डामोर को डूंगरपुर जिले के वागदरी वागदरी गांव से पकड़ा था। इन तीनों को लंबी पूछताछ के बाद देर रात गिरफ्तार किया गया। एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने कहा कि इस मामले में फरार सुरेश ढाका को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के पेपर सेट करने का जिम्मा बाबूलाल कटारा के पास ही था। छह अलग-अलग विशेषज्ञों ने जो प्रश्न दिए। वे प्रश्न उसने पेपर आउट मामले के आरोपी शेर सिंह उर्फ अनिल मीणा को बता दिए और बदले में 60 लाख रुपये लिए।
शेर सिंह ने यह पेपर भूपेंद्र सारण को दिया। जिसने सुरेश ढाका तक पेपर पहुंचाया। सुरेश ढाका ने ही यह पेपर सुरेश विश्नोई को दिया, जो अभ्यर्थियों से 5-8 लाख रुपये लेकर चलती बस में पर्चा हल करवा रहा था। यह बड़ा सवाल है कि इतनी बड़ी परीक्षा के पेपर सेट करने की जिम्मेदारी अकेले बाबूलाल कटारा को कैसे दे दी गई।
एसओजी की जांच में खुलासा हुआ है कि शेर सिंह ने बाबूलाल कटारा के अजमेर स्थित घर जाकर उससे प्रश्न लिए, जो हाथ से लिखे हुए थे। इसके बाद जयपुर आया और शास्त्री नगर में एक जगह पर सारे प्रश्नों को कंप्यूटर से टाइप करवाया। इसके बाद उसका प्रिंट निकलवाकर आगे भेजा।
टाइप करने वाले व्यक्ति से पूछताछ कर वह कंप्यूटर और अन्य उपकरण फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं। इससे पहले विशेषज्ञों ने जो प्रश्न दिए थे, उन सबको एक जगह बाबूलाल कटारा के भांजे विजय ने लिखे थे। इसके बदले उसे सोने का कड़ा दिया गया।
एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि पिछले कुछ समय से राजस्थान में पेपर आउट माफिया काम कर रहे हैं। रीट का पेपर संग्रहण केंद्र से बाहर आने और कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर परीक्षा केंद्र से आउट होने के बाद परीक्षा केंद्र और संग्रहण केंद्र पर पेपर की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
इसके बावजूद वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट हो गया। ऐसे में पहले दिन से ही शक था कि कहीं न कहीं RPSC से ही पेपर आउट हुआ है। लगातार तफ्तीश और गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में यह बात पुख्ता हो गई कि RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा ने पेपर आउट किया है।