RAJASTHAN NEWS: सतीश पूनिया ने प्रदेश में PFI बैन की उठाई मांग, जानिए प्रदेश में घटित हुई मजहबी घटनाओं के बारे में...

कन्हैया लाल व अमरावती हत्याकांड में पीएफआई कनेक्शन निकलने से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश में पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। साथ ही पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा, कहा कि प्रदेश का मसला उनकी प्राथमिकता में होना चाहिए।
RAJASTHAN NEWS: सतीश पूनिया ने प्रदेश में PFI बैन की उठाई मांग, जानिए प्रदेश में घटित हुई मजहबी घटनाओं के बारे में...
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पिछले कुछ समय से लगातार चल रही मजहबी हिंसक घटनाओं और ‘सर तन से जुदा’ की मिल रही धमकियों को पीएफआइ से जोड़ कर देखा जा रहा है। जबकि उदयपुर में कन्हैया लाल व अमरावती में सुरेश कोल्हे की हत्या के मामले में एनआइए ने जांच में पाया कि इस घटनाओं का सीधा संबंध पीएफआइ से है।

इसी को लेकर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा है कि प्रदेश की शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री है, मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पीएफआइ के प्रतिबंध की मांग करे।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश में पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने राज्य में पिछले कुछ समय से हुई घटनाओं में संगठन की लिप्तता के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि पीएफआइ पर प्रतिबंध के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाए।

31 जुलाई को मीडिया से बातचीत में पूनिया ने कहा कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या हो या अमरावती की घटना, यह स्पष्ट हो गया है कि टेरर फंडिंग किस संगठन के माध्यम से हो रही है। उन्होंने आरोप जड़ा कि मुख्यमंत्री ऐसे मुद्दों को केंद्र के पाले में डालते हैं, लेकिन प्रदेश का मसला उनकी प्राथमिकता में होना चाहिए।

राजस्थान में घटित हुई प्रमुख घटनाएं

2 अप्रैल 2022 को राजस्थान के करौली में हिंदू नव वर्ष के मौके पर बाइक रैली निकाली गई। जिस पर भड़काऊ नारे लगाने का आरोप लगाते हुए मुस्लिम लोगों ने पथराव कर दिया।
2 अप्रैल 2022 को राजस्थान के करौली में हिंदू नव वर्ष के मौके पर बाइक रैली निकाली गई। जिस पर भड़काऊ नारे लगाने का आरोप लगाते हुए मुस्लिम लोगों ने पथराव कर दिया।

करौली हिंसा : 2 अप्रैल 2022 को राजस्थान के करौली में हिंदू नव वर्ष के मौके पर बाइक रैली निकाली गई। जिस पर भड़काऊ नारे लगाने का आरोप लगाते हुए मुस्लिम लोगों ने पथराव कर दिया। इससे शहर के हटवारा बाजार में हिंसा भड़क गई। बता दे की उपद्रवियों ने 35 से ज्यादा दुकानों, मकानों और बाइकों को आग के हवाले कर दिया था। हालत इतने खराब गए थे की प्रशासन ने जिले में कर्फ्यू लगाया और फिर इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी। हिंसा में पुलिसकर्मियों सहित 43 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हिंसा के बाद लगे कर्फ्यू के कारण शहर के लोग करीब 15 दिन तक घरों में कैद रहे थे। पुलिस ने 46 उपद्रवियों की पहचान कर कार्रवाही शुरू की। आपको बता दें पुसिस ने जिन लोगों गिरफ्तार किया, वह और कोई नहीं बल्कि बहुसंख्यक समुदाय के लोग है। मतलूब अहमद एक ऐसा नाम जिसके घर पर पत्थर सरिये लाठी जैसी सामग्री जुटी मिली थी। यह वही अहमद है जो कभी सिमी का सदस्य था।

दो मई की देर रात ईद को लेकर समाज के लोगों ने इसी चौराहे पर झंडे लगाने की कोशिश की। लोग वहां पहले से लगे झंडों को हटाकर अपने धर्म के झंडे लगाने लगे, दूसरे समाज के लोगों ने इसका विरोध किया।
दो मई की देर रात ईद को लेकर समाज के लोगों ने इसी चौराहे पर झंडे लगाने की कोशिश की। लोग वहां पहले से लगे झंडों को हटाकर अपने धर्म के झंडे लगाने लगे, दूसरे समाज के लोगों ने इसका विरोध किया।

जोधपुर हिंसा : 2 मई को राजस्थान के जोधपुर में परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में रैली निकाली गई थी। इस दौरान जालोरी गेट चौराहे पर झंडे लगाए गए। दो मई की देर रात ईद को लेकर समाज के लोगों ने इसी चौराहे पर झंडे लगाने की कोशिश की। लोग वहां पहले से लगे झंडों को हटाकर अपने धर्म के झंडे लगाने लगे, दूसरे समाज के लोगों ने इसका विरोध किया। इस दौरान एक युवक के साथ विशेष समुदाय के लोगों ने मारपीट कर दी। इसके बाद मौके पर जुटी भीड़ ने नमाज के लिए लगाए गए लाउडस्पीकरों को पोल से हटा दिया। दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए और पत्थरबाजी शुरू हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागकर कर हालात काबू में किए। पथराव में डीसीपी भुवन भूषण यादव, एसएचओ अमित सिहाग सहित चार पुलिसकर्मी और कुछ मीडियाकर्मी भी घायल हो गए थे। कई दिन बाद शहर के दस थाना इलाकों से कर्फ्यू हटाया गया था। उस मामले में पुलिस ने 33 प्रकरण दर्ज किए, जबकि 250 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

भीलवाड़ा के सांगानेर में 4 मई की रात को कर्बला के पास बैठे समुदाय विशेष के दो युवकों पर नौ लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
भीलवाड़ा के सांगानेर में 4 मई की रात को कर्बला के पास बैठे समुदाय विशेष के दो युवकों पर नौ लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया।

भीलवाड़ा हिंसा : भीलवाड़ा के सांगानेर में 4 मई की रात को कर्बला के पास बैठे समुदाय विशेष के दो युवकों पर नौ लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया। दोनों से जमकर मारपीट की और साथ ही उनकी बाइक भी जला दी। लहुलुहान में हालत में दोनों युवकों को अस्पताल में एडमिट कराया गया था।

दूसरी घटना: भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर में 10 मई को हनी तापड़िया नाम का युवक मां के लिए ज्यूस लेकर जा रहा था। तभी कुछ युवकों ने उसे धमकाने की कोशिश की। यही बात हनी ने बड़े भाई आदर्श को बताई। आरोपी युवकों ने आदर्श के सीने में चाकू मार दिया, जिससे उसकी जगह पर ही मौत हो गई। पुलिस ने अफवाहें रोकने के लिए और मामले को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सर्विस को पूरी तरह से बैन कर दिया। तीसरी वारदात सुभाष नगर स्कूल के बाहर हुई जहां 11 मई की दोपहर परीक्षा देकर लौट रहे चार छात्रों पर जानलेवा हमला किया गया।

टेलर कन्हैयालाल की दुकान के अंदर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इसके बाद विशेष समुदाय के दो युवकों गौस मोहम्मद और रियाज जब्बार ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली।
टेलर कन्हैयालाल की दुकान के अंदर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इसके बाद विशेष समुदाय के दो युवकों गौस मोहम्मद और रियाज जब्बार ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली।

उदयपुर हत्याकांड : 28 जून को उदयपुर के भूत महल क्षेत्र में टेलर कन्हैयालाल की दुकान के अंदर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। इसके बाद विशेष समुदाय के दो युवकों गौस मोहम्मद और रियाज जब्बार ने वीडियो जारी कर हत्या की जिम्मेदारी ली। मामले के चार आरोपियों मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद, रियाज जब्बार और हत्याकांड की साजिश में शामिल दो अन्य आरोपी मोहसिन और आसिफ को गिरफ्तार किया जा चुका है। एनआइए ने जांच में पाया कि इनके तार पीएफआइ से जुड़े हुए है।

पीएफआई का पूरा नाम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है यह एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन खुद को पिछड़े और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज बताता है।
पीएफआई का पूरा नाम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है यह एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन खुद को पिछड़े और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज बताता है।

आखिर ये पीएफआई है क्या? जानें...

पीएफआई का पूरा नाम पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है यह एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन खुद को पिछड़े और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज बताता है। इस संगठन की स्थापना 2006 में राष्ट्रीय विकास मोर्चा के उत्तराधिकारी के रूप में की गई थी। संगठन की जड़ें केरल के कालीकट में गहरी हैं। फिलहाल इसका मुख्यालय दिल्ली के शाहीन बाग में बताया जा रहा है। आपको बता दें कि शाहीन बाग वही इलाका है जहां सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश में 100 दिनों तक सबसे लंबा आंदोलन चला था।

मुस्लिम संगठन होने के कारण इसकी ज्यादातर गतिविधियां मुसलमानों के इर्द-गिर्द घूमती है। ऐसे कई मौके आए है जब इस संगठन से जुड़े लोग मुस्लिम आरक्षण के लिए सड़कों पर उतर आए है। यह संगठन 2006 में तब सुर्खियों में आया जब उनकी ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में राष्ट्रीय राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। तब इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

24 राज्यों में फैली है इसकी जड़ें

फिलहाल इस संगठन की जड़ें देश के 24 राज्यों में फैली हुई है। कहीं इसके सदस्य अधिक सक्रिय है तो कहीं कम। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी जड़ें मुस्लिम बहुल इलाकों में गहरी है। संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का हिमायती बताता है और समय-समय पर मुसलमानों के अलावा देश भर में दलितों, आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के लिए मोर्चा खोलता है। गठन के बाद से ही इस संगठन पर कई समाज विरोधी व देश विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे है।

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