राजस्थान लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा में 36 का अकड़ा रहता है पर इस बार दोनों पार्टियों के बीच झुंझुनूं लोकसभा सीट को लेकर कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।
बता दें कि वैसे तो राजस्थान की सभी 25 सीटें दोनों पार्टियों के लिए अहम है, लेकिन झुंझुनूं की लोकसभा सीट कुछ ज़्यादा ही खास है।
शायद इसीलिए बीजेपी ने वर्त्तमान सांसद नरेंद्र कुमार का टिकट न देकर शुभकरण चौधरी को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने बृजेन्द्र सिंह ओला पर अपना दांव खेला है।
ऐसा इसलिए क्योकि यहां मुसलमानों की आबादी 267,180, अनूसूचित जाति के वोटर्स की जनसंख्या 323,282 और एसटी वोटर्स की संख्या 34,637 है।
झुंझुनूं लोकसभा सीट पर 1952, 1957 और 1962 में लगातार 3 बार कांग्रेस के राधेश्याम मोरका ने अपनी जीत का परचम लहराया था।
इसके बाद 1967 में आरके बिरला, 1971 में शिवनाथ सिंह और 1977 में जनता पार्टी के कन्हैया लाल को जीत हासिल हुई।
फिर 1984 में कांग्रेस के मोहम्मद अयूब खान, 1989 में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
जिसके बाद 1991 से लेकर 2009 तक कांग्रेस के मोहम्मद अयूब और सिस राम ओला इस सीट पर अपनी पकड़ बनाये रखी।
वहीं अगर बात कि जाए तो पिछले 2 बार से इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों का कब्ज़ा बना हुआ है।
इसी के साथ यह साफ हो गया है कि झुंझुनूं की सीट को लेकर कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
अब देखना यह है कि इस लोकसभा चुनाव में कौन सी पार्टी इस सीट पर अपने जीत का परचम लहराएगी।