जयपुर में 9 साल की बच्ची का अपहरण और बलात्कार करने वाले 25 वर्षीय युवक को पॉक्सो कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई है. यह फैसला सिर्फ 9 दिनों में लिया गया। राजस्थान पुलिस का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें महज 13 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद 6 घंटे के अंदर चालान कोर्ट में पेश किया गया।
मामला कोटखावदा का है। गिरफ्तारी से लेकर चालान पेश करने तक जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी साउथ हरेंद्र महावर ने साथियों के साथ मिलकर तेजी से काम किया. इसके लिए करीब 150 पुलिस कर्मियों की पांच अलग-अलग टीमें बनाई गईं।
डीसीपी हरेंद्र महावर ने बताया कि कोर्ट ने कमलेश मीणा को सजा सुनाई है. वह कोटखावदा थाना क्षेत्र के बालमुकुंदपुरा उर्फ बासड़ा गांव का रहने वाला है. 26 सितंबर की शाम 9 साल की बच्ची अपने दादा के लिए बीड़ी खरीदने बाजार गई थी। उसे अकेला पाकर शाम छह बजे उसका अपहरण कर लिया। कमलेश ने सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची के रोने पर उसने गला घोंटकर जान से मारने की भी कोशिश की।
मामला रात करीब साढ़े नौ बजे कोटखावदा थाने पहुंचा। थाना प्रभारी जगदीश प्रसाद तंवर के नेतृत्व में जांच शुरू हुई। मामले को गंभीरता से लेते हुए डीसीपी हरेंद्र महावर ने अतिरिक्त डीसीपी अवनीश कुमार शर्मा और चाकसू एसीपी देवीसहाय मीणा के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मियों की पांच टीमों का गठन किया.
पांचों टीमों को अलग-अलग टास्क दिए गए थे। एक टीम जहां सबूत जुटाने और शोध करने में लगी थी, वहीं दूसरी टीम कमलेश की गिरफ्तारी में लगी हुई थी. तीसरी टीम को चालान पेश करने के लिए फाइल वर्क और पत्रावली तैयार करने का काम सौंपा गया। चौथी टीम को तकनीकी साक्ष्य जुटाने के लिए कहा गया था। पांचवीं टीम को गठित अन्य टीमों के साथ कानूनी सहायता और समन्वय की जिम्मेदारी दी गई थी।
पुलिस ने फरार कमलेश को 13 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर उसके खिलाफ चालान भी पेश किया। कोटखावदा थाना प्रभारी जगदीश प्रसाद तंवर, पुलिस निरीक्षक सज्जन सिंह, मनफूल सिंह, सांगानेर सदर उपनिरीक्षक संग्राम सिंह, चाकसू थाना प्रभारी हीरालाल सैनी, सांगानेर सदर थाना प्रभारी हरिपाल सिंह राठौड़, रामकिशन विश्नोई ने टीम का नेतृत्व किया।